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विधि
साधसाध्या बांधदेवें, दोनों नेत्र मिचा देवें, और जहां रखना हो वहां जमीन में लोह का कीला ठोक कर यदि बैठाना ||
अंतिम
क्रिया हो तो किसी थंभे आदि के सहारे पाट के उपर बैठा कर मृतक को थंभे आदि के साथ डोरी से बांध देवे, और यदि सुलाना हो तो पाटिये उपर सुला कर दोनों पगों के तथा दोनों हाथों के अंगूठे डोरीसे शामिल बांध देवें. जहांपर जीव निकला हो वहां भी जमीन में लोहका कीला ठोक देना। यदि रात्रिमें काल करे तो सवेरे । होवे वहां तक मृतक के पास जागते हुए सावधान पणे से बैठे रहना चाहिये, उस समय जो नवीन दीक्षित हो, कायर-डरपोक हो, अगीतार्थ हो उनको पास में न रखने चाहिये परन्तु निर्भय हो, गीतार्थ हो, निद्रा | को जीतने वाले हों हर तरह उपाय करने में होशियार हो तथा प्रमाद रहित हो ऐसे साधु और श्रावक मृतक के आस पास बैठे रहें ।
RECASTECARRY
॥१३॥
| *-यदि मृतक को सुला दिया हो और नशों के खिचाव से मृतक के उठने का संभव हो तो उसकी छाती पर पत्थर की शिला रख नादेना चाहिये और यदि कदाचित् भूतादि के प्रवेश से मृतक उठने लगे या अट्टहास करने लगे तो किसी प्रकार का डर न लाते हुए धैर्य
से डावे हाथ में मात्रा लेकर "मा उडे बुज्झ बुज्झ गुजुगामा मुज्झह" ऐसे बोलते हुए मृतक के ऊपर मात्रा छांटे जिससे भूतादि भग
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