Book Title: Sadbodh Sangraha Part 01 Author(s): Karpurvijay Publisher: Porwal and Company View full book textPage 3
________________ * पुस्तकोका सुपीपत्र. हमारा बुकसेलरका या पुस्तक प्रसिद्ध करनेका धंदा नहीं है. परंतु हमारे घरके और हमारे मारफत दुसरोके धरके शुभ खातम खर्च करनेकी रकममेंसे ज्ञानखातेमें खर्च करनेके इरादेसे 'आजतक कितनेक पुस्तक शास्त्री (वाळबोध) टाइपमें छपवाइ है. उस्में के जो नमुने हमारे पास आज शिल्लक रहे है उन्होके नाम, और किमत. क्रम नाम मूल्य. पाट पेकिंग रुपीय-आने आने-पाइ १ चैत्यवंदन स्तुति स्तवनादि संग्रह २ सूक्त मुक्तावळी १- ०४-० ३ श्रीशत्रुजय महातिर्थादी यात्रा विचार ४ अष्ट प्रकारी तथा नात्र पूजा ५ जिनद्रभक्तिप्रकाश भाग पहलो ६ , भाग दूसर - ५। २ - ० ७ श्री चिदानंदजी कृत पद संग्रह भाग पहलो ०- ३ । १ -६ ८ सदबोध संग्रह भाग पेहेला - ४ २ २ पापधादि और उपधान विधि भेट २ - ० इस पुस्तकोम क्रम १ की प्रति २. क्रम २ की प्रति १० कम ३ की प्रति ८ कम 2 की प्रति २२ इतनाही मिटकी रही है. जादा नही होनेसे खपी जनाने जलदी मंगवा लना. , पुस्तक वचक जो र.म आती हैं उनमें हमारा संसारी स्वार्थ नहीं है. उस रकमसे और पुस्तक वानेमें या दसर संस्थाओन ४१कायले जादा प्रति प्रचारार्थ के लिये मंगवाये है. पुस्तक मंगवानवालाने मूल्य और पोष्ट स्वर्ष पहिलेही पोष्ट टीकीट द्वारा या मनीआर्टर द्वारा भेजना. डी. पी. मेक पुस्तक मंगवान पाट वचक भिवाय और पाच जाना व जादा जाता है, तारपट. ३५६ पुना सिटी.-साद शिवनायबाजी पारवाल, cw Gaum ० ० t's or or Moran ० ०ww ० ० ० ० ०Page Navigation
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