Book Title: Rup ka Garv Diwakar Chitrakatha 038
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 20
________________ रूप का गर्व एक बार महाराज सनत्कुमार राजसभा में बैठे थे। तभी आयुधशाला के द्वारपाल ने आकर समाचार दिया शुभ समाचार है महाराज! आयुधशाला में चक्र रत्न आदि दिव्य शस्त्र प्रकट हुए हैं। ANSHAS AT सनत्कुमार ने आयुधशाला में जाकर चक्र रत्न की सुगन्धित जल, फूल आदि से पूजा अर्चना की। MMMM फिर षट्खण्ड विजय की तैयारियाँ प्रारम्भ हुईं। सेनापति महेन्द्रसिंह ने मित्र राजाओं को सूचना भेज दी महाराज सनत्कुमार के राज्य) में चक्रवर्तित्व के प्रतीक के १४ रत्न प्रकट हो गये हैं। अब षट्खण्ड विजय यात्रा में आप सब सम्मिलित होवें। For Private 1ersonal Use Only in Education Intemational www.jainelibrary.org

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