Book Title: Rup ka Garv Diwakar Chitrakatha 038
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 22
________________ रूपका गर्व देवताओं ने पवित्र जल से चक्रवर्ती फिर तिलोत्तमा, उर्वशी, मेनका और रंभा ने दिव्य देव नृत्य का अभिषेक किया। प्रस्तुत किया। नारद ने वीणा वादन किया, तुम्बुस ने मृदंग बजाये, गंधर्व कुमारों ने विविध आश्चर्यजनक करतब दिखाये। THDRA इसके बाद राजाओं, श्रेष्ठियों आदि ने विविध उपहार भेंटकर चक्रवर्ती का अभिनन्दन किया। अन्त में चक्रवर्ती | सनत्कुमार ने प्रमाजनों को सन्देश दिया चक्रवर्ती सम्राट् की आज्ञा से मेरे राज्य में जो धर्म एवं नीतिपूर्वक चलेंगे | हस्तिनापुर राज्य में १२ वर्ष तक उन्हें कभी कोई कष्ट नहीं होगा। हम सब । किसी प्रकार का कर, दण्ड तथा प्रजाजनों को अभय और परस्पर प्रेमपूर्वक शुल्क आदि नहीं लगेगा। रहने का संदेश देते हैं। इस प्रकार हस्तिनापुर की प्रजा चक्रवर्ती के राज्य में पूर्ण शान्ति, सुरक्षा और सुखपूर्वक रहने लगी। Jain Education Intemational For Private personal Use Only www.jainelibrary.org

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