Book Title: Rup ka Garv Diwakar Chitrakatha 038
Author(s): Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 35
________________ * दूसरों की सेवा करने में कितना सुख मिलता है। + अनुभव अनुभव करके देखिए अपराधी को क्षमा करने में कितना आनन्द मिलता है। जरूरतमन्द को समय पर सहयोग देने में कितना सन्तोष मिलता है। एक हिंसक और मांसाहारी को - शाकाहारी जीवन शैली सिखाने में कितनी प्रसन्नता मिलती है। जीवन में सुख, सन्तोष और प्रसन्नता पाने के लिए लेने की जगह देना और सिखाने की जगह करना सीखिए । Jain Education International जहा विश्वास ही परम्परा है आपका शुभचिन्तक: शाकाहार एवं व्यसनमुक्ति कार्यक्रम के सूत्रधाररतनलाल सी. बाफना ज्वेलर्स " नयनतारा ", सुभाष चौक, जलगाँव - 425001 फोन : 23903, 25903, 27322, 27268 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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