Book Title: Rayansar
Author(s): Kundkundacharya, Syadvatvati Mata
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 6
________________ り विषय सम्यग्दृष्टि जीवों की दुर्लभता शुद्ध सम्यक्त्व निर्मल, विषय सूची अवसर्पिणी काल में भी धर्म्यध्यान होता हैं जो उत्चे सो करो अशुभ भाव रूप परिणाम शुभ भाव रूप परिणाम निर्णय स्वयं का मोही जीव के भवतीर नहीं मात्र भेष / लिंग से कल्याण नहीं मिथ्यात्व के नाश बिना मोक्ष नहीं बामी को पीटने से क्या लाभ ? संयमी कौन ? मात्र ज्ञान कर्म क्षय का हेतु नहीं हो सकता मोक्षपथ का पथ्य ज्ञानी और अज्ञानी वैराग्य के बिना भाव भाव शून्य क्रिया से अलाभ अज्ञानी और विषयासक्त जीवों की दशा फल को कौन प्राप्त करता है ? समकित - ज्ञान-वैराग्य औषधि मुनि दीक्षा के पूर्व १० का मुंडन आवश्यक भक्ति बिना सब शून्य गुरु भक्ति रहित शिष्य का चारित्र निष्फल हैं गुरु भक्ति रहित शिष्य का व्रतादि निष्फल है कारण के बिना कार्य नहीं हेय उपादेय ? बाह्य तप माहात्म्य पृष्ठ गाथा ५५ ५५ ( ब. प्रति से) m ३४ ३५ ३६ ३७ ३७ ३८ Хо ४० ४१ ४२ ४३ ४४ ४५ ४५ ४७ £ x x x x X ४७ ६२ ६३ ६४ ६५ ६६ ६७ ६८ ६९ ७० ७१ ७२ ४९ ७३ ૭૪ ४८ ५० ५१ ५२ ५३ ५४ ५५ ५६ १३ ها ؟ पढ ५६ ५७ ५८-५९ ६०-६१ ७५ ७६ ७७ ७८ ७९ ८० ८१ ८२

Loading...

Page Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 142