Book Title: Ratnaparikshadi Sapta Granth Sangraha
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

Previous | Next

Page 3
________________ राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला राजस्थान-राज्य द्वारा प्रकाशित सामान्यतः अखिलभारतीय तथा विशेषतः राजस्थानदेशीय पुरातनकालीन संस्कृत, प्राकृत अपभ्रंश, हिन्दी, राजस्थानी आदि भाषानिबद्ध विविधवाङ्मयप्रकाशिनी विशिष्टग्रन्थावली प्रधान सम्पादक पुरातत्त्वाचार्य, पद्मश्री, जिनविजय मुनि (ऑनररी मेंबर ऑफ जर्मन ओरिएन्टल सोसाइटी, जर्मनी) सम्मान्य सदस्य-भाण्डारकर प्राच्यविद्या संशोधन मन्दिर, पूना; गुजरात साहित्य सभा, अहमदाबाद; विश्वेश्वरानन्द वैदिक शोध संस्थान, होशियारपुर, पञ्जाब; निवृत्त सम्मान्य नियामक (ऑनररी डायरेक्टर)—भारतीय विद्याभवन, बंबई; प्रधान संपादक-गुजरात पुरातत्त्व मन्दिर ग्रन्थावली; भारतीय विद्या ग्रन्थावली; सिंघी जैन ग्रन्थमाला; जैन साहित्यसंशोधक ग्रन्थावली;--इत्यादि, इत्यादि। ग्रन्थाङ्क ठक्कुर - फेरू - विरचित रत्नपरीक्षादि-सप्त-ग्रन्थसंग्रह सम्पादक अगरचन्द तथा भंवरलाल नाहटा प्रकाशक राजस्थान राज्याज्ञानुसार संचालक-राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान Director, Rajasthan Oriental Research Institute, Jodhpur विक्रमाब्द 2017 राज्यनियमानुसार सर्वाधिकार सुरक्षित ख्रिस्ताब्द 1961 द्वितीयावृत्ति : 500 1996 ईसवी मूल्य : 67.00 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 ... 206