Book Title: Rashtrabhasha Shabdakosh
Author(s): Sahityaratna
Publisher: Vora and Company Publishers Limited

View full book text
Previous | Next

Page 169
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra दानस ] शनस-न० दीपक पु० चिराग शनी- वि० नाशवान वि० www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शुभ-स्त्री० स्मरण पु० याद यही-५० लाभ पु० फायदा ३२४, 1-वि० मुक्त पु० फारिक रगती - स्त्री० मुक्ति स्त्री० छुटकारा द्वारस-न० आनन्द पु० मज्जा इस पु० अनाज की पैदावार तू वि० व्यर्थ पु० फ्रिजुल सवु २५० ४० खिलना, विकास होना झवj -०० अनुकूल होना; सफल ૧૬૪ - स्त्री० फलांग स्त्री० छलांग ; घब राहट मिथुन• साफा पु० झणी - ५० भाग पु० हिस्सा sis - स्त्री० दराब स्त्री० चीरा ई| उडु - वि० रसिक पु० सुन्दर ६- २० लकीर स्त्री० विद्र ई है। - ५०० अभिमान पु० घमंड - वि० टेढ़ी श्रखवाला पुं० इटियो ५० लम्बा ढोका पु० पक्ष टी- ५०० शाखा स्त्री० ६-स्त्री० तोंद श्री. इति- ५०० जाल पु० फंदा - २० मिथ्या प्रयत्न पु० बेकार कोशिश सि-स्त्री० रुकावट; पतला कांटा [ पुरवाटे इसिवु - स०४० फांप डालना शंसिथु-त्रि कपटी पु० फरेबी शंसी स्त्री० गला-रोध स्त्री० फांसी o फोकट अ० मुफ्त, कपटी सुइस पुं० रस्सी का फांस पु० २-स्त्री० चिन्ता स्त्री० फ़िक्र चिकु - वि० निस्तेज पु० फौका स्टिमर चुं० धिक्कार पु० ल्यानत इिटइिट-२५० धिक् धिक् अ० धिक्कार छितूर-न० ढोंग पु० फ़ितूर, दंगा हिवी–५० चाकर पु० खिदमतगार शिक्षा-वि० मुग्ध पुत्र फ्रिदा शिरहे। - ५०० दल पु० फ़िरका, श्रीक राष्ट्र की प्रजा हिरहोस - स्त्री • स्वर्ग पु० बहिश्त Bazal-yo zaza go skear शिशीयारी - स्त्री० बढ़ाई स्त्री० शेखी दिसाह - स्त्री० झगड़ा पु० फिसाद री-स्त्री० पारिश्रमिक पु० मेहनताना; फीस शश - स्त्री० मन्दी स्त्री० फीकापन शत- स्त्री० फीता स्त्री० शरीरडी-स्त्री० फिड़ की स्त्री० रीस - वि० ढीला पु० फोका प्रीव - स०० अस्तव्यस्त करना ४- पुं० फुलका पु० पुराण - वि० फुटकर वि० बेकार पुरवाटी-पु० फुंकार पु० जोश का गुस्सा For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221