Book Title: Rashtrabhasha Shabdakosh
Author(s): Sahityaratna
Publisher: Vora and Company Publishers Limited

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Page 191
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पो ] ૧૮૬ [वामी खबरी वरना पी-पु. भुखमरेका संकट पुल तन-10:मूल गांव पु० घर वो-स०. दोष निकालना स. पस-०२० पुत्र पु० बेटा क्रि० खामी निकालना पसल-पि. प्रिय पु. प्यारा १-धु०स्त्री० स्थान १०; जगह, तक पहन-न० मुख पु० मुंह वी -पु. जंगल पु० १६:-स०० बोलना सक्रि० कोपयु-स०३० निन्दा करना सक्रिः १५-० हत्या बी०, खून बदगोई करना -म०० बढ़ना अ०कि. मोटा क्या-40160 बुरा लगना अ०क्रि० होना वयन-न० शब्द पु. बोल, प्रतिज्ञा धामणी-स्त्री. बधाई स्त्री० खुशवरन-न. भार पु. बोझ १७३३२-५० जागीरदार पु० जमींदार धाव-स०६० स्वागत करना स० १०३-० इनामी जागीर स्त्री० क्रि. अगवानी करना १७२-पुमंत्री पु० वजौर धे-स०४० भोग लगाना सक्रि० qoE-. खरापन पु० १न-न० जंगल पु० १८-पु०वि० निष्ठा स्त्री० श्राबरू, बरगद पनयर-वि. जंगली पु० प.पु.-०० पसार करना वनराग-पुसिंह पु० शेर परभ-धुं० सबको लागु होनेवाला वनश्री-स्त्री० जंगल की शोभा स्त्री० वनस्पति-वनस्पति स्त्री. पटि-स्त्री० दवाकी गोली स्त्री० पनित-स्त्री० महिला स्त्री० औरत परमाणु-भु० बटोही पु० मुसाफिर वनेमा-पु. कष्ट पु. तकलीफ १७।-पु. पितामह पु. दादा । पY-न० शरीर पु० जिस्म १८-स्त्री० बड़ाई स्त्री० बड़प्पन १२-१० विश्वासी पु. काबिले परी-वि० पूज्य पु० यकीन पढ-24.80 झगड़ना अकि तक मन-10 उल्टी स्त्री० रार करना १५-1०स्त्री० अास्था स्त्री० उम्र पथल-पु. वाणिज्य पु० कारोबार १२-वि०५. उत्तम पु० अच्छा; दूल्हा पशुस-400 बिनष्ट होना अ.क्रि० ५२५-५० वर्ण पु० रंग; न्यात बद होना । यानी-स्त्री० भाका, ठांठबांठ पु० For Private and Personal Use Only

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