Book Title: Rashtrabhasha Shabdakosh
Author(s): Sahityaratna
Publisher: Vora and Company Publishers Limited

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Page 188
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir रोय] ૧૮૩ [१५ राय:-वि० मनोरंजक पु० दिलपसन्द सय-4.80 बोझसे दवना अ०कि. शन-पु०म० दिवस पु० दिन; सदैव : torrd-स्त्री० आनन्द पु० मजा २२॥२-० आमदनी स्त्री० रोजगार Norm-स्त्री. लाज स्त्री० शर्म; अपयश ।'-वि० दैनिक पु० रोजका 12-स्त्री० केश गुच्छ पु० रान-स्त्री. शोभा स्त्री० रौनक १८-स्त्री. छटा स्त्री. खूपी ॥५-० रौब पु० रुवाब स -म०६० लटकना शभ-न. शरीरके रोम पु० ससाम-स्त्री० खालीसलाम रोशन-५० प्रकाशित वि० जाहिर सार-स्त्री० फेरा, चार ३१५- क्रोध पु० गुस्सा शक्षित-वि. लाल पु• सुर्ख सा-वि० परवश -वि. भयंकर पु० खौफनाक 48-वि०४० लट्ठ; मोटा, मजबुत २२१-४० एक नर्क स्त्री० 3-स०३० लड़ना प० कि० झगड़ना (स) ej-स०० फसल तोड़ना सक्रि० सावा-१० लकवा सत-स्त्री. व्यसन; श्रादत 13-10 लकड़ा पु. सता-स्त्री. बेल स्त्री० सक्ष-पुन० लाख. ध्येयः निशाना सत्ता-श्री. लात स्त्री. सक्षसा-स. आवश्यकता स्त्री० जरूर सत्ता-५० मुहल्ला पु० सक्षमी-स्त्री. धन प० दौलत सयपु-40'30ठोकरें लगना अकि. १६५-१० ध्येय पु० बोलते झीझकना समसम-वि. जगमग पु. चमकदार '१५-स्त्री० पीडा स्त्री. तकलीफ समसूर-वि० अपार पु० बेशुमार १५७५-श्री० उठाव-धर स्त्री. सलग-५० लगभग ४० अन्दाजन -स्त्री० पंच पु० लपेट Musb-स०६० चोट लगना सक्रि० सपटाव'-स. िललवाना सक्रि० सगरम-24. बहुत ननदीक १५-स्त्री. पप्पड़ स्त्री० तमाचा सन-१० निमग्न पु० मशगूल; विवाह १५-240६० गुप्त रहना अ.किल सधु-वि० छोटा वि० छिरना सया-240f8. जोरसे अलग हो पियु-वि० स्त्री० बातूनी जाना प्रक्रि० ५-१० बराबर चिपका हुआ For Private and Personal Use Only

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