Book Title: Rakshabandhan aur Deepavali
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 3
________________ रक्षाबंधन और दीपावली 'रक्षाबंधन, दशहरा,दीपावली और होली' - भारतीय संस्कृति में ये चार पर्व महापर्व माने जाते हैं। यदि हम कहें तो कह सकते हैं कि रक्षाबंधन ब्राह्मणों का, दशहरा क्षत्रियों का, दीपावली वैश्यों काव्यापारियों का और होली शूद्रों का पर्व है। चौमासे में रक्षाबंधन सबसे पहले आता है। चौमासे का समय एक ऐसा समय है कि जब सम्पूर्ण देश में धार्मिक वातावरण बन जाता है; क्योंकि इस समय किसी को कोई काम नहीं रहता। किसान लोग बोनी करके, बीजों को बोकर उनके उगने और बढ़ने का इन्तजार करते हैं; उनकी रखवाली के अलावा उन्हें कोई काम नहीं रहता। यातायात अवरुद्ध हो जाने से व्यापारियों का व्यापार के लिए देश-विदेश आना-जाना बंद हो जाता है। __पुराने जमाने में न तो रेल थी और न पर्याप्त पक्की सड़कें थीं, न बसें थीं और न ट्रक ही थे। नदियों में भरपूर पानी रहने से और पुलों की कमी से भी यातायात अवरुद्ध रहता था। इसकारण युद्ध होना भी संभव नहीं था; अतः क्षत्रिय (सैनिक) लोगों को भी कोई काम नहीं रहता था। सभी लोग अपने-अपने नगरों में ही रहते थे; इसकारण धर्मगुरुओं और विद्वानों को प्रवचन आदि का काम बढ़ जाता था, सम्पूर्ण वातावरण धर्ममय हो जाता था। साधु-संत भी चौमासे में चार माह एक स्थान पर रहते हैं। वैसे तो वे पानी की तरह सदा बहते ही रहते हैं, एक जगह अधिक नहीं रुकते। शास्त्रों में तो यह कहा कि वे चौमासे को छोड़कर बड़े नगरों में ७ दिन, छोटे नगरों में ५ दिन और गाँवों में ३ दिन से अधिक नहीं रह

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