Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पंचबळा पंचवीस पंचबळा-स्त्री० पांच औषधियों का समूह । पंचमुद्र-पु० [सं०] शिव, महादेव । पंचबलि-स्त्री० [सं०] पांच प्रकार का पुण्य । पंचमुद्रा-स्त्री० [सं०] १ पूजन विधि में पांच प्रकार की मुद्राएँ। पंचरण-पु. १ कामदेव के पांच बाण । २ कामदेव के | २ हठ योग की पांच मुद्राएं। पांच पुष्प-अरविंद, अशोक, प्राम, नवमल्लिका, नीलोत्पल । पंचमूळ-पु० [सं० पंचमूल] पांच प्रकार की जड़ीय प्रौषधियां । ३ कामदेव। पंचमूळी-स्त्री० [सं० पंचमूली] स्वल्प पंचमूल । पंचभद्र-पु० [सं०] १ एक प्रकार का घोड़ा । २ घोड़ों की एक | पंचमेर, (मेरु) -पु० [सं० पंचमेरु] पांच प्रसिद्ध पर्वत । जाति । ३ पंचकल्याण घोड़ा। ४ एक प्रकार का प्रौषधि | पंचमेळ, (मेळो)-वि० [सं० पंचमिलन] पांच वस्तुओं का समूह । मिश्रण । पंचभरतारी-स्त्री० [सं० पंचभर्तृका] द्रौपदी। पंचमेवी-पु० बादाम, पिश्ता आदि पांच मेवे । पंच-भीख (भीखण, भीखम)-देखो 'भीखमपंचक' । । पंचमेस-पु० [सं० पंचमेश] जन्म कुण्डली में पांचवें घर का पंचभूत-पु० [सं०] पांच भौतिक तत्त्व । स्वामी । पंचभूतक (भूतिक, भौतिक)-वि० [सं० पंचभौतिक] पांच | पंचमौ-देखो 'पंचम' । भौतिक तत्त्वों से बना । -पु० शरीर । पंचरंग-वि० [सं०] पांच रंगों का, पचरंगा। पञ्चमंडळी-स्त्री० पंचायत, पंच-समूह । | पंचरतन, (रत्न)-पु० [सं० पंचरत्न] १ पांच प्रकार के रत्न । पंचम (उ)-पु० [सं०] १ संगीत में सप्तक का पांचवां स्वर ।। २ एक स्तोत्र का नाम । ३ पांच धार्मिक ग्रंथ विशेष । २ एक राग विशेष । -वि० पांचवां । पंचराइग्री-पु० एक वस्त्र विशेष । पंचमकार-स्त्री० [सं०] मद्य, मांस, मत्स्य, मुद्रा और मैथुन । पंचरात्र-पु० [सं०] १ पांच दिनों में पूर्ण होने वाला यज्ञ । (वाम मार्ग) २ पांच रातों का समूह । पंचमगति-स्त्री० [सं०] मोक्ष । पंचरासिक-पु० [सं० पंचराशिक] गरिणत की एक विधि । पंचमगुण-पु० [सं०] मोक्ष । पंचरूप, (रूपी)-पु० [सं०] सुमेरु पर्वत । पंचमराग-देखो 'पंचम'। पंचळ-वि०पांचाल या पंजाब देश का । -पु० द्रुपद राजा का पुत्र पंचमहायज्ञ-पु० [सं०] पितृ तर्पण, हवनादि गृहस्थ के पांच । धृष्टद्युम्न। टयाना कर्म विशेष । पंचलक्षण-पु० [सं०] पुराण के पांच लक्षण या चिह्न । पंचमहापातक-पु० [सं०] ब्रह्म हत्या प्रादि पांच प्रकार के पचलड़ी-वि० [सं० पच-लटिक] १ पांच लड़ों का, पंचलड़ा। महान् पाप कर्म। २ पांच तह का । ३ पांच गुना । -पु० गले का एक पंचमहाव्याधि-स्त्री० [सं०] यक्ष्मा, कुष्ठ प्रादि पांच भयंकर हार विशेष । रोग। पंचलोह (लोह)-पु० [सं०] १ सोना, चांदी आदि पांच धातुएँ। पंचमहावत-पु० [सं०] योग शास्त्रानुसार पांच प्रकार के पांच प्रकार के लोह । प्राचरण । पंचवटी, पंचवट्टी-स्त्री० [सं० पंचवटी] दण्डकारण्य का एक पंचमहासबद (सम्ब)-पु० [सं० पंचमहाशब्द] १ पांच प्रकार के | स्थान । वाद्यों का समूह । २ इन वाद्यों से उत्पन्न ध्वनि । पंचवदन-पु० [सं०] १ शिव । २ ब्रह्मा । ३ एक मात्रिक छन्द पंचमाय-पु० [सं० पंच-मस्तक] शिव, महादेव । विशेष । पंचमी-स्त्री० [सं०] १ चंद्र मास के प्रत्येक पक्ष की पांचवीं | पंचवय-पु० [सं० पंचव्रत] पांच महाव्रत । (जैन) तिथि । २ मुक्ति, मोक्ष । ३ द्रौपदी। ४ अपादान कारक । पंचवरग-पु० [सं० पंच-वर्ग] पांच वस्तुओं का समूह । ५ शौचादि से निवृत्ति की क्रिया। -वि० चार के बाद पंचवरण, पंचवरन-पु० [सं०पंचवर्ण] १ प्रणव के पांच वर्ण । वाली, पांचवीं। २ वस्त्र विशेष । ३ पचरंगा घोड़ा । -वि० पांच रंग का । पंचमुख-पु० [सं०] १ सिंह । २ नृसिंहावतार । ३ शिव, | पंचवांणी-स्त्री० [सं० पञ्च-वारणी] कबीर, दादू, हरिदास, महादेव । ४ ब्रह्मा। ५ हनुमान का एक रूप।। रामदास और दयालदास की वाणियां । पंचमुखी-वि० [सं०] पांच मुखों वाला। -पु०एक प्रशुभ रंग | पंचवाद्य-पु० [सं०] तंत्र, पानद्ध, सुशिर, धन और वीरों का का घोड़ा विशेष । गर्जन । पंचमुदरा-देखो 'पंचमुद्रा'। पंचवीस-देखो ‘पचीस' । For Private And Personal Use Only

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