Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पडित पसेरो पडित पु० [सं० 1 (स्त्री० पंडितांणी) १ शास्त्रों का ज्ञाता। पथाण-देखो 'पंध' । विद्वान, ज्ञानी । २ विशेषज्ञ । ३ ब्राह्मण । -वि० पथाई-वि० १ वाम मार्ग को मानने वाला, वाममार्गी । १ बुद्धिमान, चतुर । २ निपुण, दक्ष । २पथ का, पथ संबधी। पडितांणी-स्त्री. १ पंडित की स्त्री। २ ब्राह्मणी । ३ विदुषी।।पयाळरी-पु० घोड़ा। पडिताइ (ई)-ग्यो. विद्वता, पाण्डित्य । पथिक-देखो 'पंथी। पडिताउ (ऊ)-वि० पण्डितो के अनुरूप । पथिड़ो, पथियो-देखो 'पथी । पंडिति-देखो पंडित'। पथी, पंथोक, पथोड़ो, पथोडौ-पु० [सं० पथिक) १ राही, पंडिपाद-पु० एक प्रकार का वस्त्र । यात्री। बटोही। २ किसी पथ या सम्प्रदाय का अनुयायी। पडिय- देखो 'पति '। ३ वाम मार्गो। ४ पथ प्रदर्शक । पडिवेस-देखो 'पंडवेम' । ज्यीय पंथीयौ--देखो 'पथी' । पंडी-स्त्री० [मं पण्डा] पडे की स्त्री। पदरमो, दरवा-देखो ‘पनरमौ'। पंडीर-पु. महादेव, शिव । पदरह पदर, पंद्रह, नर-देखो 'पनरै'। पंडीस पडोसीक-देखो 'पांडीम् । नरपि--अव्य० [सं० पुनरपि] फिर, पुनः । पडु-१ देखो पा'। २ देखो 'पांडव' । ३ देखो 'पांडुर। पंग-देखो 'पन्नग'। पंडुक-पु० [सं० पा] (म्बी० पड़की) कबूतर जाति का पन्नड़ी, पंन्नडी (डो)-१ देखो 'पनड़ी' । २ देखो 'पान' । एक पक्षी। पपा-स्त्री० [सं०] १ दक्षिण भारत की एक नदी । २ इस पडुकुमरी-स्त्री० द्रोपदी। नदी के पास बमा एक नगर। ३ दण्डकारण्य की एक झोल या मरोवर। पडुरी-स्त्री० [म० पड़की] फास्ता पक्षी। प'पागर (गिर, गिरि)-पु. [सं० पपागिरि उक्त नदी के पास पडू-१ देवो पांद' । २ देखी 'पांडव' । __ का ऋष्यमूक पर्वत । पर-वि. म. पागदग १ उज्ज्वल, निर्मल ! २ देखी पाळ (लो)-१०१ अठ. असत्य । २ ढोंग, प्राडंबर, पाखंड । ___'पार। दरो 'गदर'। ३ मझट, झमेला। ४ व्यर्थ का प्रलाप । ५ दुनियादारी पडोखळी-स्त्री० गाट बाधने का वस्त्र । का प्रपंच । -वि० मिथ्या, झूठा । पडो-१० म० पावित् | १ मंदिर का पुजारी। २ तीर्थ गुरु । पोटौ-पु. पानो प्रादि का बुलबुला । पत-वि० [सं० प्रान्त] १ नुन्छ। २ देखो 'पंक्ति'। ३ देखो पपोळरणी (बी)-क्रि० [सं० पम्पस् ] धीरे-धीरे हाथ फेरना, पाति'। सहलाना। पतर, पतरण-देखो पातरण' । पोळारणी (बी), पपोळावणी (बी)-क्रि० धीरे-धीरे हाथ पंतरणौ (बी)-देखो 'पांतरणो' (बी) । फिराना, महलवाना। पतरोह-स्त्री० म पक्ति-कट] धूलि, रज । मार-देखो ‘परमार'। पप्तावख-पू. स्वर्ग, देवनाकः । । पयाळ देखो पताळ'। पति पती-१ देखो पनि । दे वो 'पाति'। पंव-वि० पांच। पथ-१० स० थ | १गरना, प्रागं । २ मम्प्रदाय, धर्म मार्ग, पंबर, पंवरी-देखो पामड़ी' । मत । ३ प्रचार पद्धति, व्यवहार, क्रम । ४ एक तांत्रिक पवार-देखो ‘परमार'। मत, वाम-मागं । । पसरणी-वि० [स० पासुल] (स्त्री० पासुली) दुष्ट, नीच । पथक-वि० [सं० पथ-क] राह में उत्पन्न । पृ. चार । । प सारी-पु० [म. पण्यशाली (स्त्री० पंसारण) किराणा व पंथक-पथक-बी० १ शत्र, दुश्मन । २ नुटरा । जडी, बू टी आदि का व्यापारी । पथग-१० [सं० पथग अनुयायी, शिष्य । पसीउकत-स्त्री० पैशाची भाषा । पथडो-देखो पथ'। पथवारियो-पु. १ 'पथवारी' पर स्थापित ककड़। र तीथं । पंसुली-देवो पामली। यात्रियों की याद में गेहै. जब प्रादि बोय जान का स्थान। पसेरी-स्त्री०१ पाच सेर का तोल, बाट । २ पाच सेर पदार्थ पथवारी-स्त्री० तीर्थ यात्रियों की याद में बाये जाने वाले गेहका मात्रा। जब आदि । मेरौ-वि०१ रक्षक । २ देखो पंसेरी'। For Private And Personal Use Only

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