Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पग पड़वापोस पग्ग-वेखो 'पग'। होना । ७ मिलना, मिश्रण होना । - दशा या स्थिति में पग्गार-देखो 'पगार'। परिवर्तन होना। 6 बनना। १० बीच में पाना, हस्तक्षेप पघड़, पधड़-१ देखो 'पाग'। २ देखो 'पग'। करना, दखल देना। ११ झपट कर पाना, किसी पर पघड़ी-देखो 'पाग'। टूटना, धावा बोलना। १२ स्वत: उत्पन्न होना । पर-स्त्री० [सं० पट] १ कपड़े पर चित्रित, किसी लोकनायक १३ होना, बनना। १४ विशेष परिस्थिति माना। ___ का जीवन चरित्र । २ देखो 'परड़' । १५ टिकना, पड़ाव डालना । १६ सोना, लेटना, विश्राम पड़काळ, पड़काळो-पु० १ घायलों को उठाने की डोली। करना। १७ घायल होकर गिरना वीरगति पाना। २ जीना, सीढ़ी । १८ मरना । १६ सयोग बनना। २० लगन लगना, चिन्ता पड़कोट, पड़कोटो-पु. [सं० परिकोट] परकोटा, शहर पनाह । होना । २१ उतरना, उतर कर अलग होना । २२ बंधन में पड़को-क्रि०वि० [सं० पत] पट्ट की ध्वनि करते हुए। डाला जाना। २३ उपार्जन होना, लाभ होना । २४ सस्ती पडक्खणी (बी), पड़खणी (बी)-देखो 'पडखणी' (बी)। या महगी पाना। २५ मिलना, प्राप्त होना । २६ उखड़ना, पखाऊ-वि० १ न कमाने वाला, कमा खाने में असमर्थ । ढहना। २ निठल्ला। पड़त-स्त्री० [सं० पत] १ उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिये खाली पड़गन-पु० [स० प्रतिग्रहण] वचन बद्धता। छोड़ी हुई भूमि । २ किसी वस्तु की बिक्री दर, लागत । पड़गनौ-पु० [फा० पर्गन:] १ प्रान्त, जिला । २ तहसील । ३ दर, शरह । [सं० प्रति] ४ पुस्तक की प्रति, प्रतिलिपि । पड़गाहरणो (बो)-क्रि० [सं० प्रतिग्रहण] १ कैद करना । | पड़तमाळ (माळी)-देखो 'प्रतिमाळ' । २ देखो 'पडगाहणौ' (बौ)। पड़त-रा-खालड़ा-पु० जागीरदारों द्वारा किसानों से लिया पड़चंदौ-देखो 'पडचदौ'। जाने वाला कर विशेष । । पड़चिवो-देखो 'पड़चौ' । पड़तळ -वि० निर्धन, कंगाल, असमर्थ । -पु. १ सामान सामग्री पड़ण, पाचून, पड़चूरण, पड़चून-स्त्री० [सं० प्रचूरिण] २ चारजामे के उपकरणों का समूह । ३ चारजामे के नीचे किराणा की परचूनी दुकान या व्यवसाय । का वस्त्र । ४ कृषि संबंधी उपकरण । ५ देखो 'पड़त' । पड़चौ-१ देखो 'पड़छौ' । २ देखो 'परची'। पड़तळो-पु० [सं०परि-तन] १ तलवार का पट्टा । २ चपरास । पड़च्छ-देखो 'पड़छ' । पड़ताळ-स्त्री० [स० प्रति-भालनम् १ देखभाल, जांच, पड़च्छी-देखो 'पुड़छी'। निगरानी। २ खोज, तलाश । ३ वनि, आवाज । पड़छदो-देखो 'पञ्चदौ'। ४ बौछार । ५ प्रहार, चोट । ६ छानबीन । पड़छ-स्त्री० १ ऊंट की एक चाल । २ घोड़े की एक चाल । | पडताळणी (बो)-क्रि० [सं० प्रताडनम्] १ जोश पूर्वक प्रागे ३ चौपाये का कदम । ४ देखो 'पुड़छी' । बढ़ाना, झोंकना। २ ध्वस करना, नष्ट करना । ३ पीटना, पड़छणी (बी)-देखो 'परछरणी' (बी)। मारना । ४ पराजित करना, हराना । ५ भगाना, तेजी से पड़छाय, पड़छाव-स्त्री० [सं० प्रतिछाय] छाया। प्रतिछाया। चलाना। ६ खोजना, तलाश करना। ७ छान-बीन करना, परछाई। जांच करना। पड़छी-स्त्री. १ घोड़े या ऊंट के चारजामे लगने में वाला एक | पड़ती-देखो 'पड़त' । उपकरण । २ देखो 'पुड़छी' । ३ झोली। पड़द-स्त्री० [सं० पर्द:] खजूर । पडदड़ी, पड़दड़ो-पु० १ तलवार की म्यान या कोश । पड़छी-पु. १ लोहे का छोटा कड़ाहा । २ देखो 'परचौ'। २ तलवार का पट्टा । परजांन-स्त्री०१ गांव या नगर के बाहर, कन्या पक्ष की ओर | आर पड़दनी-स्त्री० कूए पर काम आने वाला चमड़े का एक उपकरण ___ से की जाने वाली बरात की अगवानी । २ सीमान्त पूजन । विशेष । पड़जानियौ-पु० उक्त प्रकार से अगवानी करने वाला व्यक्ति। पड़दळी, पड़दळो-देखो 'पड़दड़ो' । पररणी (बी)-क्रि० [सं० पतनम्] १ ऊचे स्थान से नीचे पड़दांनौ-स्त्री० रहट पर रखने की एक प्रस्तर शिला। धरातल पर गिरना, पतन होना । २ किसी वस्तु को किसी पात्र में डाला जाना, रखा जाना । ३ वृष्टि के रूप पड़दाइत-देखो ‘पड़दायत'। में गिरमा । ४ उड़कर गिरना, फैलना, छितराना । | पड़वादी-पु० [सं०प्रपितामह ] (स्त्री०पड़दादी) पिता का दादा। ५ चोट या प्राघात होना । ६ प्रविष्ट होना समाहित | पड़दापोस-देखो 'परदापोस' । For Private And Personal Use Only

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