Book Title: Rajasthani Hindi Sankshipta Shabdakosh Part 02
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पटराशि ( १७ ) पटह देना। पटति, पटउडी-देखो 'पटकुटी'। पटणी (बी)-क्रि० [सं० पत् १ वसूल होना, प्राप्त होना। पटउलउ, पटउलड़ी (बी), पटउली, पटउलीय, पटउलौ-देखो २ मन मिलना, संबंधों का निर्वाह होना । ३ सौदा तय 'पटकूल' । होना, समझौता होना । ४ गड्ढ़ा या कूप प्रादि का पट पटौ-देखो 'पटवौं'। जाना, बुर जाना, भर जाना। ५ छा जाना, फैल जाना, पटक-स्त्री० [सं० पत्] १ पराजय, हार । २ पछाड़, पटकी। भर जाना, बिछ जाना। ६ धंसना, प्रविष्ट होना, घुसना । पटकरणी (बी)-क्रि० [सं०पत्] १ किसी वस्तु को ऊपर से नीचे ७ अजित होना। डालना, पटकना। २ अधिक व्यय या दान करना। पटतर-देखो 'पटतर'। ३ पहनाना, धारण कराना। ४ फेंकना, उछालना, पटताळ-पु० [सं० पट्टताल] मृदंग की एक ताल । गिराना । ५ व्याप्त करना, फैलाना । ६ करना, पटधारी-वि० [सं०] वस्त्र धारी। बनाना, सौंपना। ७ पछाड़ना, गिराना। ८ निकालना, | पटन-देखो 'पट्टण' । छोड़ना । ६ खड़े हुए, रखे हुए या जमाये हुए पदार्थ को पटपड़ी-पु. १ मस्तक, शिर । २ 'चूनगरों' का एक उपकरण । जमीन पर गिराना, फैलाना, डालना । १० गिरा देना, पटपाटु-पु. एक प्रकार का बढ़िया वस्त्र । खो देना । ११ बलात् कहीं रख देना । पटपोरी-पु. सूती या तंबाखू की डिब्बी को खोलने से पूर्व पटकाणी (बी)-क्रि० १ ऊपर से नीचे डलवाना, पटकाना । | अंगुली से झाड़ने की क्रिया या भाव । २ अधिक व्यय या दान कराना। ३ धारण करवाना। पटमंजरी-स्त्री० [सं०] सम्पूर्ण जाति की एक रागिनी। ४ फेंकाना, उछलवाना। ५ व्याप्त कराना, फैलवाना, पटमंडप-पु० [सं०] तंबू, खेमा । ६ करवाना, बनवाना, सौंपवाना। ७ पछाड़ दिराना। पटरंगणा (ना)-पु. विवाहोपरान्त वर-वधू से खेलाया जाने गिरवाना । ८ निकलवाना, छोड़ाना । ९ खड़े या । वाला एक खेल। जमाये हुए को जमीन पर गिरवाना, फैलवाना, डलवाना। पटरांणी, पटरागणि (पी, नी)-देखो 'पट्टराणी' । १० गिरवा देना, गुम करा देना । ११ बलात् कहीं रखवा | पटरी-१ देखो ‘पट्टी' । २ देखो 'पाटी'। . पटळ, पटल-पु० [सं० पटलम्] १ मकान की छत, छाजन, पटकाय-पु० [सं० पटकारः] १ कपड़ा बुनने वाला, जुलाहा, छप्पर । २ पर्दा, प्रावरण। ३ माड़। ४ ढेर, अंबार । ततुकाय । २ चित्रकार। ५ समूह, झुण्ड । ६ प्रांख का मोतियाविंद रोग । ७ देखो पटकावरणौ (यो)-देखो 'पटकाणी' (बौ)। "पिटल'। पटकी-स्त्री० [सं० पत्] १ वज्राघात, बिजली, विद्युत । पटलि, पटली-स्त्री. १ धोती या साड़ी के पल्लू की छोटी २ वज, इन्द्र का अस्त्र । ३ भयंकर माफत । ४ कुश्ती का | छोटी तहें जो नाभि के नीचे खोंसी जाती हैं । २ इसी तरह एक दाव। पोढ़नी के पल्लू की तहें। ३ मोटाई, मोटापन । परफुटी-स्त्री. छोटा तंबू, खेमा, छोलदारी। ४ देखो 'पटी'। पटकूळ-पु० [सं० पट्ट-दुकूल] १ वस्त्र, कपड़ा। २ रेशमी वस्त्र, | पटवाय-पु० [सं०] झांझ से मिलता-जुलता एक वाद्य । कपड़ा । ३ दुपट्टा। पटवार, पटवारगिरी-स्त्री० [सं० पट्ट-कार] पटवारी का कार्य, पटक्करणो (बो)-देखो पटकणो' (बी)। पद या पारिश्रमिक। पटड़ियो-१ देखो 'पाटौ' । २ देखो 'पद्रो'। ३ देखो 'पटियो' । पटवारी-पु० [सं० पट्ट-कार] राजस्व विभाग का एक कर्मचारी पटड़ी-१ देखो 'पट्टी' । २ देखो 'पाटी'। जो कृषि भूमि के लगान वसूली मादि का कार्य करता है। पटड़ो-१ देखो 'पट्टो' । २ देखो 'पाटो' । पटवौ-पु० (स्त्री० पटवी) हार आदि गूथने का कार्य करने पटवर-पु० [सं० पटच्चर] चोर । वाला व्यक्ति। पटवार-पु० [सं० पटचार] वस्त्र, कपड़ा। पटसन-पु० एक पौधा जिसके रेसों से टाट सूतली मादि पटभर-देखो 'पटाझर'। बनते हैं। पटण-देखो 'पट्टण'। पटसाळ-स्त्री० [सं० ठ-शाला] मकान के पृष्ठ भाग में बनी पटरपी-स्त्री० एक बहुमूल्य वस्त्र विशेष । शाला, कक्ष। पटगीतेग-स्त्री. एक प्रकार की तलवार । पटह-पु. [सं० पटहः] १ दुन्दुभी, नगाड़ा। २ बड़ा ढोल । पटणी-पु. [सं० पट्टन] पाटलीपुत्र । ३ प्रथम गुरु ढगण का एक भेद । For Private And Personal Use Only

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