Book Title: Rajasthan Bhasha Puratattva
Author(s): Udaysinh Bhatnagar
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

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Page 9
________________ राजस्थान भाषा पुरातत्व १४७ इनके राज्य वर्तमान थे और कुछ तो स्वाधीनता के पूर्व तक वर्तमान थे। दूसरा कारण भीलों और राजपूत जातियों का परस्पर मिश्रण है,१७ जिसने व्यापक रूप में राजस्थानी के निर्माण का काम किया। डा० चाटुा के मतानुमार मील और कोल के आदि पुरुष आग्नेय (Austric) जाति के लोग थे । यह जाति हिन्द-चीन की ओर से आने वाली प्राथमिक प्राग्नेय' (Proto--Australoid) जाति से इस देश में आदि कृषक के रूप में विकसित हुई। आग्नेय लोगों के पश्चात् द्रविड़ और द्रविड़ों के पश्चात् आर्य लोगों ने भारत में प्रवेश किया। आर्य साहित्य में जिस निषाद जाति का उल्लेख मिलता है वह आग्नेय जाति ही थी। इसी निषाद जाति के वंशज अलि की पर्वत श्रेणियों और मालवा की पठार भूमि में बसे हुए भील माने जाते हैं१८। मध्य और पूर्व भारत की कोरकू, सन्याल, मुन्डारी, हो, गदब, शबर आदि जातियाँ कोल जाति से विकसित मानी जाती हैं। कोल भी इन निषादों के ही वंशज थे। इस प्रकार इन सभी जातियों में एक वंश-परम्परा है। इस कारण इनकी भाषा-प्रवृत्ति में कहीं कहीं साम्य-प्रभाव लक्षित होता है । डा. ग्रियर्सन ने अपनी भाषा सर्वे में भारत की कोल और मुडा श्रेणी की भाषाओं, असम और मोनख्मेर जाति की 'खसी' भाषा भारत-चीन तथा भारत-चीन के दक्षिण और दक्षिण-पूर्व के द्वीप-समूहों की भाषाओं को प्राग्नेय (Austric) भाषा से विकसित माना है। परन्तु मीली का उल्लेख उन्होंने इसके अन्तर्गत नहीं किया। १७. (क) राजस्थान के भील अपने को क्षत्रीय-वशी मानते हैं । मेवाड़ के मोमट प्रान्त में पान रवा का भील राज, जो राणा की उपाधि से विभूषित है, वह भोमिया भील है और सोलंकी कहलाता है। क्योंकि उसमें क्षत्रिय का मिश्रण है-Tod-"Annals", Vol. P185. (ख) विध्यप्रदेश के मिलाड भी इसके उदाहरण हैं-Bhilads : Closely related to Bhils, Patlias and other tribes which inhabit the Vindhyas and Satpuldas. They claim bowe. ver Rajput descent and are considered to be of higher status than their neighbours. The Bhumias or allodial proprietors of this hilly tract are all Bhilads...According to traditions their ancestors lived at Delhi. They were Chauhans and members of the family of Prithviraj. When the Chauhans were finally driven out from Delhi by Mohammadons (by Muiz-ud-din 1192 A.D.) 200,000 migrated to Mewar and settled at Chittor. On the capture of Chittor by Allahuddin in 1303 A.D. a large number of them fied to Vindhya hills for refuge. Here they married Bhil girls and lost their caste.” -L.J. Blunt, 'As short Bhili Grammar of Jhabua State and adjoining territories. १८. भील की उत्पत्ति के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से तीन अत्यधिक प्रसिद्ध है। इनमें से एक उनका निषाद से सम्बन्ध स्थापित करने वाली भी है:१. पहली कथा राम और धोबी की है । इसमें उक्त धोबी अपनी बहन से विवाह कर लेता है । उसके सात लड़के और सात लड़कियाँ उत्पन्न हुई। राम ने पहले लड़के को घोड़ा दिया । वह उसको चलाने में असमर्थ रहा और जंगल में लकड़ियाँ काटने चला गया। भील उसी के वंशज है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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