Book Title: Rajasthan Bhasha Puratattva
Author(s): Udaysinh Bhatnagar
Publisher: Z_Jinvijay_Muni_Abhinandan_Granth_012033.pdf

View full book text
Previous | Next

Page 12
________________ श्री उदयसिंह भटनागर और द्रविड़ों का सम्बन्ध मोहनजोदड़ो की सभ्यता से स्थापित होने लगा। भाषा के आधार पर इस सम्बन्ध की पुष्टि की जाने लगी और नई शोधों तथा नये विचारों पर यह स्थापित किया गया कि द्रविड़ भाषाओं की आकृति में संश्लेषी (Agglutina ting) प्रवृत्ति यूराल-अल्टाइक भाषाओं के समान है। अब द्रविड़-तमिल शब्दों के प्राचीन रूपों की उपकल्पना (hypothesis) और व्युत्पत्ति की व्याख्या की जाने लगी । द्रविड़ शब्द के प्राचीन रूप* द्रमिज (*Dramiz) और द्रमिल (Dramila) की उपकल्पना कर यह स्थापित किया गया कि द्रविड़ लोगों का प्राचीन नाम* द्रमिज या* मिल था। इसी प्रकार तमिल का प्राचीन रूप तमिज़ (tamiz) था। २२ एशिया माइनर के लीसियन लोगों ने अपने शिलालेखों में अपने को म्मिलि (trmmli) कहा है। लीसियनों के पूर्व पुरुष प्राग-हेलेनिक युग के कीटन लोगों के विषय में हेरोडोटस ने लिखा है कि वे क्रीट से लीसिया में अपना प्राचीन नाम 'तरमिलई' (Termilai) साथ लेकर आये थे (१,१७३) । किन्तु फादर हेरास ने इस वृत्तान्त के केवल 'त्रिम्मलइ' शब्द को लेकर उन्हें क्रीट का निवासी बताकर 'त्रिम्मइल' और 'तमिल' में सम्बन्ध स्थापना की खेंचतान की है। डा० सुनीति कुमार चाटुा के मतानुसार एशिया माइनर के इन प्राचीन लीसियनों तथा प्राग-हेलेनिक युग के क्रीटनों के नाम से ही मिल, द्रमिड़, द्रविड़ दमिल और तमिल (=तमिज़) नाम भारत में आये । २3 __ डा० चाटुा के उक्त मत के आधार में प्रवेश कर हम उसे कुछ विस्तारपूर्वक देखना चाहेंगे । केरिया (Carea) के दक्षिण-पूर्व में पहाड़ी प्रान्त लीसिया के लोगों को त्रमिलियन (Tramilians) कहते थे। हेरोडोटस ने उन्हें 'तरमीलियन' (Termilians) लिखा है । इसी प्रान्त के उत्तर पूर्व में उस समय एक आदिम जाति (Tribe) वर्तमान थी जो मिलयन (Milyan) कहलाती थी। हेरोडोटस के अनुसार इन मिलयनों का पूर्व नाम सोल्यमी (Solymi) था और वे वहाँ के मूल निवासी थे। हेरोडोटस के वृत्तान्त के अनुसार 'तरमीलियन' लोग क्रीट (Crete) टापू से भाग कर पाये थे। सरपेडोन (Serpadon) का उसके भाई मेनोस (Menos) के साथ होने वाले संघर्ष में सरपेडोन इन लोगों के साथ भागा और लोसिया में आकर शरण ली। हेरोडोटस के अनुसार लीसिया नाम लाइकस (Lycus) से सम्बन्धित है। लाइक्स एक यूनानी दल का नेता था जो यूनान से निकाल दिया गया था और सरपेडोन के साथ साथ उसने भी इसी प्रान्त में शरण ली२४। लाइकस का यूनान के साथ सम्बन्ध होने के कारण यूनानी लोग उस देश को लीसिया कहते थे और लाइकस के साथियों को लीसियन । तरमीलियन शब्द मेरी समझ में किसी मिश्रण का द्योतक २२-इन नामों में आने वाला अन्तिम 'ल' का उच्चारण विचारणीय है। 'ल' एक द्रव्य ध्वनि है और जिह्वाग्र के प्रयोग से अनेक स्थानों से इसका उच्चारण होता है। आज तमिल में तीन प्रकार ल' का उच्चारण होता है । एक सामान्य वर्त्य 'ल' दूसरा मूर्धन्य 'ल' और तीसरा शुद्ध द्रव्य ल जिसके उच्चारण में जिह वा का अत्यन्त स्पर्श वर्त्य से होता है और वह अंग्रेजी 2 (ज् ) जैसा सुनाई देता है। ऊपर जो 'ज्' लिखा गया है वह इसी ध्वनि का द्योतक है । इधर ल , ल का परिवर्तन 'र' और 'ड' में भी होता है। 23-Indo-Aryan and Hindi -PP 39-40. (24) Historian's History of the World Vol. II P.418. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35