Book Title: Raja aur Praja
Author(s): Babuchand Ramchandra Varma
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya

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Page 50
________________ राजा और प्रजा। मके। हम लोगोंमें किस बातका क्या परिणाम होता है. हमें किस जगह चोट लगनेसे कहाँ पीड़ा होती है, इस बातको वे लोग अच्छी तरह नहीं समझ सकते । इसीलिये उन लोगोंको भय है । हम लोगोंमें भयंकरताका और कोई लक्षण नहीं है, केवल एक लक्षण है और वह यह कि हम लोग अज्ञात हैं । हम लोग स्तन्यपायी उद्भिदभोजी जीव हैं, हम लोग शान्त सहनशील और उदासीन हैं। लेकिन फिर भी हम लोगोंका विश्वास नहीं करना चाहिए। क्योंकि हम लोग पूर्वके रहनेवाले और दुर्जेय हैं। ___ यदि सचमुच यही बात हो तो हम अपने शासकोंसे कहते हैं कि आप लोग क्यों हम लोगोंको और भी अधिक अज्ञेय करते जा रहे हैं ? यदि आप रस्सीको साँप समझ रहे हों तो क्यों चटपट घरका दीआ बुझाकर अपना भय और भी बढ़ा रहे हैं ? जिस एक मात्र उपायसे हम लोग आत्मप्रकाश कर सकते हैं, आपको अपना परिचय दे सकते हैं, उस उपायको रोकनेसे आपको क्या लाभ होगा ? गदरसे पहले हाथों हाथ जो रोटी वितरण की गई थी, उसमें एक अक्षर भी नहीं लिखा था, फिर भी उससे गदर हो गया था। तब ऐसे निर्वाक निरक्षर समाचारपत्र ही क्या वास्तवमें भयंकर नहीं हैं ? सौंपकी गति विलकुल गप्त होती है और उसके काटनमें कोई शब्द नहीं होता, लेकिन क्या केवल इसीलिये साँप निदारुण नहीं होता ? समाचारपत्र जितने ही अधिक और जितने ही अबाध होंगे स्वाभाविक नियमके अनुसार देश आत्मगोपन करनेमें उतना ही अधिक असमर्थ होगा। यदि कभी अमावस्याकी किसी गहरी अँधेरी रातमें हम लोगोंकी अबला भारतभूमि दुराशाके दुस्साहससे पागल होकर विप्लव-अभिसारको यात्रा करे तो संभव है कि सिंहद्वारका कुत्ता

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