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कण्ठ-रोध।
रही है तो यह बात निश्चय है कि हम लोग मच्छड़ नहीं हैं---कमसे कम मरे हुए मच्छड़ नहीं हैं !
हमारी जातिमें यदि कुछ प्राण अथवा कुछ शक्तिके संचारकी संभावना हो तो हमारे लिये यह बहुत ही आनन्दकी बात है। इस वातको अस्वीकृत करना ऐसी स्पष्ट कपटता है कि पालिसीके रूपमें तो वह अनावश्यक और प्रवंचनाके रूपमें बिलकुल व्यर्थ है । इसलिये जब हम यह देखते हैं कि सरकार हम लोगोंकी उस शक्तिको स्वीकृत करती है तो हमारे निराश चित्तमें थोड़ेसे गर्वका संचार हुए बिना नहीं रह सकता! लेकिन दुःखका विषय यह है कि यह गर्व हम लोगोंके लिये सांघातिक है। जिस प्रकार सीपमें मातीका होना सीपके लिये बुरा होता है उसी तरह हम लोगोंमें इस गर्वका होना भी बुरा है। कोई चालाक गोताखोर हम लोगोंक पेटमें छुरी भोंककर यह गर्व निकाल लेगा और इसे अपने राजमुकुटमें लगा लेगा । अँगरेज अपने आदशको देखते हुए हम लोगोंका जो अनुचित सम्मान करते हैं वह सम्मान हम लोगोंके लिये परिहासके साथ ही साथ मृत्यु भी हो सकता है। गवर्नमेन्ट हम लोगोंमें जिस बलके होनेका सन्देह करके हम लोगोंके साथ बल प्रयोग करती है वह बल यदि हम लोगोंमें न हुआ तो उसके भारी दण्डसे हम लोग नष्ट हो जायेंगे और यदि वह बल हम लोगोंमें सचमुच हुआ तो उस दण्डकी मारसे हमारा वह बल बराबर . दृढ़ और अन्दर ही अन्दर प्रबल होता जायगा ।
हम लोग तो अपने आपको जानते हैं, लेकिन अँगरेज हम लोगोंको नहीं जानते । उनके इस न जाननेके सैकड़ों कारण हैं जिनका विस्तारपूर्वक वर्णन करनेकी आवश्यकता नहीं है । साफ़ बात यही है कि वे हम लोगोंको नहीं जानते । हम लोग पूर्वके रहनेवाले हैं और वे पश्चि