Book Title: Raghuvansh Mahakavya
Author(s): Kalidas Makavi, Mallinath, Dharadatta Acharya, Janardan Pandey
Publisher: Motilal Banarsidass
View full book text
________________
xx
रघुवंशमहाकाव्य कर सकता है, केवल पुस्तकीय ज्ञानवाला व्यक्ति नहीं। उपमाओं में उन्होंने व्याकरण-जैसे नीरस विषय को भी नहीं छोड़ा है। तपस्या, त्याग, और तपोवन इन तीनों को कालिदास की रचनाओं में अत्यन्त महत्त्व दिया गया है। उनका प्रत्येक पात्र तपस्या में तपकर खरा उतरने पर ही प्रयुक्त हुआ है। तपोवन का प्रत्येक प्राणी आध्यात्मिक शक्ति से ओतप्रोत है। राजा त्याग के लिये ही कर लेते हैं। कालिदास की रचनाओं में तत्कालीन भारत की जो झलक मिलती है उससे स्पष्ट हो जाता है उनका अथाह ज्ञान ।
कालिदास की कृतियाँ: संक्षिप्त परिचय ___ यों तो कालिदास के नाम से उपलब्ध रचनाओं का उल्लेख किया जा चुका है, परन्तु अन्तःसाक्ष्य एवं बहिः साक्ष्यों तथा परम्परागत जनश्रुति के आधार पर तीन नाटक, दो महाकाव्य और दो खण्डकाव्य इनकी रचनायें मानी जाती हैं, जिनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है--
नाटक १. मालविकाग्निमित्र ___ इसमें शुङ्गवंश के राजा अग्निमित्र तथा मालविका के प्रेम का उत्कृष्ट चित्रण है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का आश्रय लेकर कवि ने राजाओं के अन्तःपुर के अन्दर पनपते काम, रानियों की परस्पर ईर्ष्या, राजा की कामुकता तथा रानी धारिणी की धीरता और उदात्तता को सफल और सटीक दर्शाया है। संभवतः यह कवि की नाटकों में पहली रचना है।
२. विक्रमोर्वशीय
ऋग्वेद १०६५ तथा शतपथब्राह्मण ११।५।१ में पुरूरवा एवं उर्वशी का प्रेमाख्यान आया है। इसीको कवि ने अपनी चमत्कारिक कल्पना से नाटक का रूप दिया है। पुरूरवा एक पराक्रमी और दयालु राजा है। उर्वशी देवलोक की अप्सरा है, जो शापभ्रष्ट होकर मर्त्यलोक में आई है। उसे एक राक्षस परेशान कर रहा है। राजा राक्षस से उर्वशी का उद्धार करता है। उर्वशी राजा के अलौकिक रूप को देखकर मुग्ध हो जाती है।