Book Title: Pruthvi ke Akar evam Bhraman ke Vishay me Samikshtmak Prashnavali Author(s): Abhaysagar Publisher: Jambudwip Nirman Yojna View full book textPage 7
________________ तथा "एक ऐसा भी तारा है कि जिसके प्रकाश को यहाँ आने में १३४ प्रकाश वर्ष लगेंगे।" ये सभी मान्यताएं किस प्रकार स्थिर की गई हैं ? अथवा केवल कल्पना ही आधार है? ६. चन्द्र प्रकाशित क्यों है ? उसका प्रकाश शोतल क्यों है ? तथा यह किस प्रकार पाया ? इस सम्बन्ध में नैज्ञानिकों की धारणा क्या है ? 3. कहा जाता है कि-"हमारी पृथ्वी भी चन्द्र के समान हो प्रकाशित है", दूसरे ग्रहों से यह पृथ्वी चन्द्रमा के जेसी चमकती दिखती है", तथा “इस प्रकार के फोटो भो प्रकाशित हुए हैं ?" यह सब कैसे सम्भव माना जाता है ? क्या दूसरे ग्रहों से पृथ्वी की चमकती हुई देख सकने की बात यथार्थ है ? और पृथ्वी का प्रकाश किस तरह सम्भव है ? ८. शुक्ल एवं कृष्णपक्षों में चन्द्रमा की कलानों में न्यूनाधिकता क्यों होती है ? ६. ग्रीष्मकाल और शीतकाल किस प्रकार होते हैं ? १०. पृथ्वी से सूर्य १३।। लाख गुना बड़ा माना जाता है, तो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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