Book Title: Pruthvi ke Akar evam Bhraman ke Vishay me Samikshtmak Prashnavali
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ch.bJITNhIk Illlebic lege साहेन, लापनगर. A ફોન : ૦૨૭૮-૨૪૨૫૩૨૨ 300४८४१ AM YWW WAND पर्वत आधुनिक वैज्ञानिक धारणाओं को समीक्षा प्रस्तुत करने वाली प्रश्नावली ५ Shree Sudharmaswami Ganbhandar-Umara. Surat naragyantonandar.com W anaswami Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृथ्वी के आकार एवं भ्रमण के विषय में, समीक्षात्मक प्रश्नावानी यदस्ति सत्यं किल भासमानं, तदेव नित्यं हृदि नश्चकास्तु । -: निबन्धक :पूज्य उपाध्याय श्रीधर्मसागरजी म. चरगोपासक मुनि श्रीअभयसागरजी महाराज -: सम्पादक :पं० रुद्रदेव त्रिपाठी साहित्यसांख्ययोगाचार्य एम० ए० (संस्कृत-हिन्दी), बी० एड, साहित्यरत्नादि, संचालक-साहित्य-संवर्धन-संस्थान, मन्दसौर म०प्र० -:प्रकाशक : पूनमचन्द पानाचन्द शाह कार्यवाहक-जम्बूद्वीप-निर्माण-योजना, कपड़वंज (गुजरात) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथम संस्करण वीर निर्वाण संवत् २४६३ विक्रम संवत् २०२४ मूल्य-पचास पैसे विशेष सूचना यह विषय समीक्षात्मक दृष्टि से विचारने : योग्य है, अतः किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह अथवा ! मान्यता के प्रावेश में न आते हुए तटस्थ दृष्टि से विमर्श करने के लिये प्रत्येक विद्वान् को भावभीना आमन्त्रण है। मुद्रकपं० पुरुषोत्तमदास कटारे, हरीहर इलैक्ट्रिक मशीन प्रेस, कंसखार बाजार, मथुरा। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्पादकीय वर्तमान समय में विज्ञान द्वारा प्रदत्त अनेकानेक भौतिक सुविधाओं की चकाचौंध से सर्वसाधारण जन-जीवन आमूल-चूल प्रभावित प्रतीत होता है । जागतिक सुखों की आंधी में उत्तरोत्तर प्रतिस्पर्धा करता हुआ आज का मानव धीरे-धीरे हमारे ऋषि-प्रणीत उत्तमोत्तम सारभूत धर्मग्रन्थों के प्रति भी शिथिल श्रद्धा वाला बनता जा रहा है । __ भारतीय आस्तिक जगत् को अपने धर्मशास्त्रों में वर्णित भूगोल-सम्बन्धी विचारों के प्रति निष्ठा स्थिर रखने के लिये ऐसे अवसर पर एक महत्त्वपूर्ण उद्बोधन की पूर्ण आवश्यकता है, अन्यथा यह ह्रसनशील प्रवृत्ति क्रमशः निम्नस्तर पर पहुँचती ही जायगी तथा ईश्वर न करे कि वह दिन भी देखना पड़े कि जब स्वर्ग, नरक, पुण्य-पाप, आत्मा-परमात्मा आदि सभी निरर्थक कल्पनामात्र कहने लग जाँय ! इस विषम परिस्थिति को ध्यान में रखकर गत सोलह वर्षों से परमपूज्य उपाध्याय श्रीधर्मसागरजी महाराज के चरणोपासक पूज्य गणिवर्य श्रीअभयसागरजी महाराज ने स्वदेश एवं विदेश के भौगोलिक-विज्ञान का अध्ययन-अनुशीलन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रारम्भ किया और सतत परिशीलन के परिणाम स्वरूप अनेक ऐसे तथ्य ढूँढ़ निकाले कि जिससे 'पृथ्वी के आकार, भ्रमण, गुरुत्वाकर्षण, चन्द्र की परप्रकाशिता' जैसे विषयों पर आधुनिक वैज्ञानिकों की मान्यताओं के मूल में स्थित ' भ्रान्तधारणाएँ, कल्पनाएँ, तथा प्रपूर्णताएँ' प्रत्यक्ष प्रस्फुटित होने लगीं । ऐसे सारपूर्ण विचारों को भूगोल वेत्ताओं के समक्ष उपस्थित करने और एतद्विषयक मनीषियों के उपादेय विचारों को जानने के लिये अनेक मनीषियों ने मुनिवर्य से प्रार्थनाएँ कीं, और उन्होंने अपनी साधना में निरन्तर संलग्न रहते हुए भी लोकोपकार की दृष्टि से अपने विचारों को लिपिबद्ध करने की कृपा की । यह विचार परम्परा विषय की गम्भीरता एवं विशालता के कारण अनेक रूपों में विभक्त हो, यह स्वाभाविक ही है । मैंने मुनिश्री के निकट बैठकर उनके विचारों, तर्कों और उत्तरप्रत्युत्तरों को समझा है तथा तदनुसार ही उन्हें संकलित कर प्रस्तुत पुस्तिका के रूप में उपस्थित किया है । विश्वास है विज्ञ पाठक इसका सावधान - मस्तिष्क से परिशीलन करेंगे तथा इस विषय पर अपने विचारों से हमें अवगत कराने की अनुकम्पा करेंगे । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat - रुद्रदेव त्रिपाठी www.umaragyanbhandar.com Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्या पृथ्वी गोल है ? आधुनिक वैज्ञानिक धारणाओं की समीक्षा प्रस्तुत करनेवाली प्रश्नावली १. पृथ्वो गोल है, इसका तर्क सम्मत प्रमाण क्या है ? २. पृथ्वी ऊपर-नीचे दो भागों में ( उत्तरी-दक्षिणी ध्र व प्रदेश में ) चपटी है, यह किस प्रकार निश्चित हुआ ? ३. पृथ्वी से सूर्य ६॥ करोड़ मील दूर है, यह कैसे निश्चित किया? ४. १ सेकण्ड में १ लाख ८६ हजार मोल प्रकाश की गति है, यह कैसे निश्चित हुप्रा ? ५. "तारे सबसे अधिक दूर हैं", "ये सभी तारे हमारे सूर्य के समान ही प्रकाशित हैं", तारामों में से कतिपय तारामों का प्रकाश तो अब तक हमारी पृथ्वी पर माया ही नहीं" Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तथा "एक ऐसा भी तारा है कि जिसके प्रकाश को यहाँ आने में १३४ प्रकाश वर्ष लगेंगे।" ये सभी मान्यताएं किस प्रकार स्थिर की गई हैं ? अथवा केवल कल्पना ही आधार है? ६. चन्द्र प्रकाशित क्यों है ? उसका प्रकाश शोतल क्यों है ? तथा यह किस प्रकार पाया ? इस सम्बन्ध में नैज्ञानिकों की धारणा क्या है ? 3. कहा जाता है कि-"हमारी पृथ्वी भी चन्द्र के समान हो प्रकाशित है", दूसरे ग्रहों से यह पृथ्वी चन्द्रमा के जेसी चमकती दिखती है", तथा “इस प्रकार के फोटो भो प्रकाशित हुए हैं ?" यह सब कैसे सम्भव माना जाता है ? क्या दूसरे ग्रहों से पृथ्वी की चमकती हुई देख सकने की बात यथार्थ है ? और पृथ्वी का प्रकाश किस तरह सम्भव है ? ८. शुक्ल एवं कृष्णपक्षों में चन्द्रमा की कलानों में न्यूनाधिकता क्यों होती है ? ६. ग्रीष्मकाल और शीतकाल किस प्रकार होते हैं ? १०. पृथ्वी से सूर्य १३।। लाख गुना बड़ा माना जाता है, तो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । ३ ) पृथ्वी पर चारों ओर प्रकाश फैलना चाहिये। जैसे कि १००० केण्डल के वल्व के सामने राई के दाने अथवा सुई रख दें तो उस पर सर्गत्र प्रकाश फैल जाता है, तब पृथ्वी के गोलार्द्ध में गाढ अन्धकार क्यों है ? ११. उत्तर-दक्षिण ध्रव से क्या तात्पर्य है ? क्या किसी ने वहाँ जाकर निर्णय किया है अथवा केवल कल्पना-मात्र है ? बस 'संसार का अन्त आगया; अब आगे कुछ नहीं है" क्या सचमुच ध्र व-प्रदेश हमारी पृथ्वी का चरम बिन्दु १२. पृथ्वी से चन्द्रमा २१॥ लाख मील दूरी पर है इसका नाप कैसे किया ? १३. वास्तव में गुरुत्वाकर्षण क्या है ? १४. नीहारिका-उल्कामों के सम्बन्ध में विज्ञान ने जो कुछ धारणाएं निश्चित की हैं उन सबके पीछे सबल प्रमाण क्या है ? १५. दूसरे ग्रहों में भी जीवसृष्टि होने की बात अमेरिकन वैज्ञानिकों ने व्यक्त को है, तो इस सम्बन्ध में खास कोई महत्त्व की बात सहायभूत है क्या ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्या पृथ्वी घूमती है ? पृथ्वी भ्रमण के सम्बन्ध में विचार प्रस्तुत करने वाली प्रश्नावली १ - पृथ्वी घूमती है, इसका क्या प्रमारण है ? २-- यदि पृथ्वी घूमती है, तो पृथ्वी पर स्थित सभी वस्तुएं तितर-बितर क्यों नहीं हो जातीं ? ३ - - समुद्र का पानी, छोटे-बड़े मकान, विशालकाय पर्वत और अनेक प्रकार की जीवसृष्टि ये सब पृथ्वी उलटी होती है तब उलट-पुलट क्यों नहीं हो जाते ? ४ - पृथ्वी की भ्रमरणकक्षा अण्डाकार - लम्बगोल क्यों है ? ५-- अण्डाकार परिभ्रमण की मर्यादा का नियन्त्रण कौन करता है ? और ऐसा किसलिये होता है ? ६ - - निराधार आकाश में पृथ्वी किस प्रकार रह सकती है ? ७- - वस्तुतः यदि पृथ्वी घूमती है, तो उसे कौन घुमाता है ? कर्ता के बिना किया किस तरह होती है ? ८- बराबर २४ घण्टे में पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती ही रहे और उसके साथ ही वह सूर्य के आस-पास भी घूमती रहे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ और इन सब के बीच कभी गड़बड़ी न हो; सभी यथावत् चलता रहे-यह नियन्त्रण कौन करता है ? ६.-पथ्वी सतत वेग से घूमती हो, तो पृथ्वी से प्राधार रहित वायुयान अथवा अन्य किसो साधन से जाकर किसी अन्य ग्थल पर शीघ्र उतर कर पहुँचा जा सकता है क्या ? यदि ऐना हो सकता है तो रॉकेटों को पृथ्वी के आस-पास घूमने को क्या आवश्यकता है ? १०-पृथ्वी की दैनिक गति कितनी है ? और उसका निर्णय किस साधन से किया गया है ? ११-पृथ्वो की वार्षिक गति कितनी है ? और उसके निर्णय का आधार क्या है ? १२-चन्द्रपा क्यों घूमता है ? तया वह पृथ्वी के आस-पास क्यों घूमता है ? १३-चन्द्रमा अपनी धुरी पर घूमता है अथवा नहीं ? यदि नहीं घूमता है, तो उसका कारण क्या है ? १४-चन्द्रमा की गति का वेग कितना है ? उसके निर्णय का आधार क्या है ? १५-सूर्य भी अपने समस्त परिवार (ग्रहमाला) के साथ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अत्यन्त वेग से किसी अन्य बिन्दु की अोर वेगपूर्वक जा रहा है, वह बिन्दु किस प्रकार जाना गया ? तथा इस गति का वेग कितना और किस प्रकार निश्चित किया ? तथा 'अपने समस्त परिवार के साथ' इसका क्या तात्पर्य है ? १६-सूर्य गतिशील है, इसका क्या प्रमाण है ? १७-पृथ्वी २३।। डिग्री का कोना बनाकर सूर्य के पास पास घूमती है, यह कैसे निश्चय किया गया ? १८-२३।। डिग्री का ज्ञान के से हमा? इससे अधिक या कम क्यों नहीं? १६-पृथ्वी २३।। डिग्री से अधिक या कम कोना नहीं बनाये ऐसा नियन्त्रण किसके आधार पर होता है और कौन करता है ? २०-पदि पृथ्वी सचमुच हो वेग से घूमती हो, तो वायु का वेग कितना अधिक रहेगा और वह भी पश्चिम से पूर्व की ओर ही रहना चाहिये। २१-चन्द्रमा अपनी धुरी पर घूमता है और पृथ्वी भी अपनी धुरी पर घूमती है तो चन्द्रमा का एक ही भाग सदा क्यों दिखाई देता है ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OkkkkkkkkkkkO भूगोल तथा भूभ्रमण के सिद्धान्तों के सम्बन्ध में मामिक विचारणा * ***** ** १-यदि पृथ्वी गोल हो, तो पानी सदा ममतल भूमि पर हो रहता है, ऊँचो नीची जमीन पर से तो पानी बह जाता है, तो समुद्रों का पानी प्रत्येक भाग में किस प्रकार टिक सकता है ? २-यदि पृथ्वी गोल हो, तो पृथ्वी की प्रदक्षिणा आज तक जितनी हुई है और अभी जो रॉकेटों के द्वारा भी यात्राएं हुई हैं वे सब पूर्व से पशिचम की ओर ही क्यों होती हैं ? ३-यदि पृथ्वी गोल हो, तोविषुववृत्त रेखा और उत्तर ध्र व पर होकर अमेरिका में दक्षिण ध्र व में होते हुए पुन: विषुववृत्त रेखा पर पाया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जा सकता है क्या ? ऐसी प्रवास यात्रा विसी ने की है क्या ? ४-यदि पृथ्वी गोल हो, तो दि० ३०-८-१६०५ के दिन जो सर्यग्रहण हुआ था वह पश्चिम, उत्तरो अफ्रिका, प्राइसलेण्ड उतरी एशिया. साइबेरिया तथा ब्रिटिश अमेरिका के सम्पूर्ण भागों में दिखाई दिया था; तो अमेरिका और एशिया में एक साथ सूर्यग्रहण होना कसे सम्भव है ? क्योंकि दोनों देश वस्तुतः पृथ्वी के गोले की अपेक्षा से विरुद्ध दिशा में है । ५-यदि पृथ्वी गोल हो तो उत्तर ध्रव के समान दक्षिण ध्र व की ओर भी सनातन हिम श्रेणियों की ऊँचाई एक समान होनी चाहिए. किन्तु वस्तुत: वे समान हैं नहीं । क्योंकि दक्षिण अमेरिका में १६००० फुट ऊची हिम श्रेणियां हैं, जब कि उत्तर अमेरिका में हिम श्रेणियों की ऊंचाई घटते-घटते २००० फुट तथा प्रागे तो ४०० फुट ही ऊंची हिम-श्रेणियाँ मिलती हैं इसका क्या कारण है ? ६-यदि पृथ्वी गोल हो तो उत्तर ध्रव की ओर २०० मोल के घेराव में जैसी वनस्पति मिलती है वैसी ही दक्षिणी ध्रुव में क्यों नहीं मिलती ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६ ) ७-यदि पृथ्वी गोल हो, तो उत्तर ध्रुव की ओर जो ग्रोन नेण्ड, प्राइसलेण्ड, साइबे रया आदि शीतकटिबन्ध के निकट वाले प्रदेश हैं उनमें तो आलू, जौ और चने आदि की उपज होती है किन्तु दक्षिण ध्रव की ओर तो ७० प्रक्षांश पर कोई सचेतन प्राणी ही नहीं मिलता, ऐसा क्यों ? ८-यदि पृथ्वी गोल हो, तो उत्तर ध्र व को पोर जिस अक्षांश पर जितने समय तक उष:काल ( सूर्योदय से पूर्ववर्ती प्रकाश ) रहता है, दक्षिण ध्रुव की ओर उसी अक्षांश पर उतने ही समय उषःकाल रहना चाहिये, किन्तु वह नहीं रहता है। क्योंकि उत्तर में ४० अक्षांश पर स्थित फिलाडेल्फिया में ६० मिनिट अर्थात् एक घण्टे का सूर्योदय से पूर्व प्रकाश होता है और विषुववृत्त रेखा पर १५ मिनिट और दक्षिण में ४० अक्षांश पर स्थित मेलबोर्न प्रास्ट्रेलिया आदि में सूर्योदय से पूर्व केवल ५ मिनिट ही प्रकाश होता है, ऐसा क्यों होता है ? ह-यदि पृथ्वी गोल हो, तो पादरी फादर जोन्सटन दक्षिण अक्षांशों की अपनी साहसिक यात्रा के वर्णन में लिखते हैं कि--"यहाँ उषःकाल केवल पांच या छः मिनिट का ही होता है । इसलिये सूर्य क्षितिज Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १० ) पर पहुँचा कि हम शीघ्र ही रात्रि के लिये सारी व्यवस्था कर लेते हैं, क्योंकि यहाँ तो सूर्य अस्त होते ही तत्काल अन्धकार पूर्ण रात्रि प्रारम्भ हो जाती है ।" इसकी संगति किस प्रकार होगी ? । क्योंकि उत्तर और दक्षिण के समान अक्षांशों पर उप:काल और सन्ध्याकाल समान रहने चाहिये । १०-यदि पृथ्वी गोल हो, तो केप्टन जे० रास० ई० स० १८३८ में केप्टन फशियर के साथ दक्षिण को प्रोर अटलाण्टिक सर्कल में जहाँतक जाया जाय वहाँ तक गया और वहाँ के पर्वतों को ऊंचाई १०००० से १३००० फुट तक की नापी । वहां उन्हें ४५० फुट से लेकर १००० फुट तक की ऊँचाई वाली पक्की बर्फ की दीवाल मिली जिसके ऊपर का भाग समतल था, उस पर गड्ढा अथवा दरार जसा कुछ नहीं था। उस दीवाल पर वे बड़े उत्माह के साथ संशोधनअन्वेषण के ध्येय से सतत चला रहे और इस प्रकार वे चार वर्ष तक चले, ४०००० मोल को यात्रा को, किन्तु उस दीवाल का अन्त नहीं पाया । ऐमा किस प्रकार हुआ ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ क्योंकि दक्षिण में इस प्रक्षांश पर पृथ्वी की परिधि केवल १०७०० मोल की ही है, और कहीं मोड़ लिए बिना उसी जगह पर आजाने की बात वैज्ञानिक करते हैं इसके अनुसार वे वहीं के वहीं वापस क्यों नहीं पा सके ? उन्हें चार वर्ष बाद भी थक कर वापस लौटना पड़ा; ऐसा क्यों हुमा ? तथा दक्षिण के इस भाग की परिधि १०७०० मील की किस प्रकार हुई ? ४०००० मील तक तो वे चले तब भी अन्त नहीं पाया और थक कर वापस लौट आये, तब वस्तुतः पृथ्वी का दक्षिण को प्रोर का भाग बहुत चौड़ा है यह मानना पड़ेगा। ११-यदि पृथ्वी गोल हो, तो कर्क रेखा ( विषुववृत्त से २३ । अंश उत्तर में ) का एक अंश=४० मोल का माना जाता है. जब कि मकर रेखा (विषुववृत्त से २३।। अश दक्षिण में ) का एक अंश प्रयः ७५ मोल का होता है और जैसे २ दक्षिण की पोर जाते हैं जैसे ही वह चौड़ा होता जाता है। दक्षिण की ओर एक अंश=१०३ मोल तक का गिनती से बतलाया है। ऐसा कैसे हो सकता है ? १२-यदि पृथ्थो गोल हो, तो उत्तर ध्रुव के साहसी यात्रियों के प्रवास वरण के अनुसार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२ ) "उत्तर ध्र व की पोर १०० पौण्ड वजन भी बहुत कठिनाई के साथ उठाया जा सकता है" ऐसा विदित होता है । जब कि दक्षि ग ध्र व के अन्वेषकों के शब्दों से तो 'दक्षिणी ध्र व की ओर ३०० से ४०० पौण्ड वजन सरलता से उठाया जा सकता है" ऐसा ज्ञात होता है । यह अन्तर किस आधार पर होता है ? १३-यदि पृथ्वी गोल हो, तो भूमध्य सागर लाल सागर से केवल ६ इंच ही ऊँचा होना चाहिये । १४-यदि पृथ्वी गोल घूमती हो, तो २५८०० मील के व्यास वाली पृथ्वी २४ घण्टे में अपना दैनिक परिभ्रमण पूरा करने के लिये १ घण्टे में १०८० मील की तेजी से दौड़ती रहती है तो एक घण्टे के १००० मील की तेज गति वाली पृथ्वी पर समस्त चराचर प्राणी पीर पदार्थों से भरपूर मौर बड़े बड़े पवंत, समुद्र एवं नदियों वाला सारा संसार किस तरह व्यवस्थित रह सकता है ? १५-यदि पृथ्वी घूमती हो, तो न्यूयार्क से चिकागो १००० मोल दूरी पर है. तो न्यूयार्क से बलून अथवा वायुयान में बैठकर ऊपर निराधार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आकाश में स्थिर रह कर १ घण्टे बाद उतरने से क्या चिकागो पहुंचा जा सकता है ? क्यों कि पृथ्वी एक घण्टे में १००० मील घूमती है तो चिकागो आजाना चाहिये । क्या ऐसा होना सम्भव है ? १६-यदि पृथ्वी घूमती हो, तो बन्दूक की गोली छोड़ते समय एक मिनिट में तो पृथ्वी १६ मील घूम जासी है तो निशाना लगाते समय क्या पृथ्वी की इस गति को ध्यान में रखा जाता है ? पृथ्वी घूमती नहीं हैं ऐसा जानने वाले भी बन्दूक से अपना निशाना ठीक तरह से लगा देते हैं, यह कैसे हो सकता है ? १७-यदि पृथ्वी गोल हो, तो लोक पोस्टर से रोचेटर तक की ६० मील लम्बी ऐरिक नहर की गोलाई का मोड़ ६१० फुट और दोनों किनारों की अपेक्षा बीच की ऊँचाई २५६ फुट की होनी चाहिये किन्तु वैसा है नहीं, तो यह क्यों ? १८-यदि पृथ्वी गोल हो, तोस्वेज नहर के दोनों ओर समुद्र है तो भी उसकी सपाटी समान क्यों है ? दोनों ओर के किनारों की अपेक्षा बीच का भाग (पृथ्वी गोल हो तो) १६६६ फुट ऊँचा होना चाहिये। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४ ) १६ - यदि पृथ्वी गोल हो, तो— "दूर से आते हुए स्टीमर के ऊपर का भाग दिखाई देता है, जैसे- जैसे स्टीमर पास आता है वैसे ही स्टीमर का भाग अधिकाधिक दिखने लगता है" यह बात वैज्ञानिकों ने प्रसारित की है । किन्तु वास्तविकता यह है कि किसी ने आज तक ऐसा प्रयोग भी किया है ? क्योंकिजिस स्थान से बिना किसी यन्त्र की सहायता के स्टीमर के ऊपर का ही भाग दिखाई देने की बात कही जाती है, उसी स्थान से दुर्बीन ( टेलिस्कोप) द्वारा पूरा स्टीमर दिखता है, तो क्या दुर्बीन का काँच पृथ्वी को गोलाई का हटा सकता है ? , उस स्थान से केमरे द्वारा फोटो भी लिये गये हैं किन्तु जिस स्थान से बिना किसी यन्त्र की सहायता के स्टीमर के ऊपर का ही भाग दिखाई देने की बात कही जाती है । उस स्थान से लिये गये फोटो में सारा स्टोमर चित्रित हुआ है तो क्या केमरे का लेन्स पृथ्वी की गोलाई को दूर हटा सकता है ? इसमें वास्तविकता क्या है ? २०- यदि पृथ्वी गोल हो, तो भूमध्य रेखा से नीचे वाले भाग में जाने वाले अथवा रहने वाले को ध्रुव तारा किस तरह दिखाई देता है ? दक्षिण www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५ ) में ३० अक्षांश तक ध्र व तारा दिखाई देता है यह किस प्रकार होता है ? २१-यदि पृथ्वी गोल हो, तो उत्तर ध्र व और दक्षिण ध्र व की ओर अर्थात् पार्कटिकअटलांटिक सर्कल में तीन माह की रात और तीन माह के दिन होने चाहिये किन्तु होते नहीं हैं। वाशिंगटन के व्यूरो ऑफ नेविगेशन द्वारा प्रकाशित नौटिकल एलमैनक पचांग में दिखाया गया है कि दक्षिण के ७० अक्षांश पर स्थित शेटर्लेण्ड टापू पर सबसे बड़ा दिन १६ घण्टे ५३ मिनिट का होता है । जब कि उत्तर के ७० अक्षांश पर स्थित नॉर्वे-हैमरफास्ट में तीन माह का सबसे बड़ा दिन होता है।'' यह परिवर्तन कैसे सम्भव है ? २२-यदि पृथ्वी गोल हो, तो दक्षिण के आर्कटिक प्रदेशों में पिस्तौल की साधारण आवाज भी तोप की आवाज के समान गूंजती है और बड़ी चट्टानें टूटने की आवाज तो प्रलयकारी नाद से भी भयङ्कर होती है । परन्तु उत्तर के आर्कटिक प्रदेशों में ऐसा नहीं होता है। वहाँ तो केप्टन होले के शब्दों में 'बन्दूक की आवाज भी ३० फुट दूरी से प्रागे बड़ी कठिनाई से सुनाई देती है।" ऐसा कैसे होता होगा ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३-यदि पृथ्वी गोल हो, तो केप्टन मिले ने अपनो साहसिक यात्रा में लिखा है कि-- "पार्कटिक प्रदेश में ४० मील से अधिक साधारण मनुष्य की दृष्टि नहीं पहुँचती, किन्तु उत्तर ध्रुव की यात्रा करने वाले साहसिक तो" १५० से २०० मील तक सरलता से देख सकते हैं, ऐसा बतलाते हैं । ऐसा क्यों होता है ? २४-यदि पृथ्वी गोल हो, तो हारपर्स वीकली ( अमेरिकन साप्ताहिक पत्र) दि० २०१०-१९३४ में बताया गया है कि--" उत्तर में कोलोरेडो इलेक्शन पेमाउट डनकम्प्रंगी से (१८३ मील दूर ) माउन्ट एलन तक हेलियोग्राफ (पालिशवाले कांच ) की सहायता से समाचार भेजे।" यह किस प्रकार हुप्रा ? क्योंकि १८३ मील में पथ्वी की गोलाई २२३०६ फुट की ऊँची प्राड़ी आए तो हेलियोग्राफ से समाचार कैसे भेजे गये ? २५-यदि पृथ्वी गोल हो, तो इंग्लिश चेनाल में स्थित स्टीमर की छत-ऊपर के भाग से फ्रांस और ब्रिटेन के दोनों किनारों पर स्थित दीपस्तम्भ स्पष्ट दिखाई देते हैं । यह कसे ? पृथ्वी की गोलाई पाड़ में क्यों नहीं आती ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृथ्वी के आकार आदि समस्त विषयों को शास्त्रीय दृष्टि से समझने के लिये निम्नलिखित प्राचीन जैन ग्रंथों का अनुशीलन उपादेय है* श्रीजम्बूद्वीप-प्रज्ञप्ति * श्रीसूर्यप्रज्ञप्ति * श्रीचन्द्रप्रज्ञप्ति ★ श्रीबृहत् क्षेत्र समास * श्रीलघु क्षेत्र समास * श्रीबृहत् संग्रहणी * श्रीक्षेत्र लोक प्रकाश * श्रीकाल लोक प्रकाश * श्रीमण्डल-प्रकरण * श्रीजम्बूद्वीप समास * श्रीजम्बूद्वीप सागर प्रज्ञप्ति * श्रीजम्बूद्वीप-संग्रहणी * श्रीतत्त्वार्थ सूत्र * श्रीतत्त्वार्थ सूत्र श्लोक वार्तिक प्रादि । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पृथ्वी के आकार प्रादि समस्त विषयों को आधुनिक दृष्टि से समझने के लिये निम्नलिखित ग्रन्थों का अनुशीलन हितावह है१-वन हण्ड्रट प्रूफस् देट दि अर्थ इज नॉट ए ग्लोब (ले० अमेरिका के विद्वान-विलियम कार्पेन्टर ) २-मॉडर्न साइन्स एण्ड जैन फिलासफी ३-पी० एल० ज्योग्रोफी भा० १-२-३-४ ४-जैन दर्शन और आधुनिक विज्ञान ५-भूगोल-भ्रमण-मीमांसा ६-विश्व रचना प्रबन्ध ७-जैन भूगोल ( महत्त्वपूर्ण प्रामाणिक ग्रन्थ ) ८-जैन खगोल ( महत्त्वपूर्ण प्रामाणिक ग्रन्थ ) ह-जैन भूगोल की विशालकाय प्रस्तावना १०-पृथ्वी स्थिर प्रकाश ११-दि इण्डोलॉजिकल मेगजीन जुलाय-अगस्त १९४६ १२-सन् डे न्यूज आफ इण्डिया २-५-१९४८ १३-अहिंसा वाणी, विशाल भारत, धर्मयुग प्रादि के प्रकीर्ण अंक --X-- Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्रीजम्बूद्वीप-निर्माण-योजना [ सक्षिप्त परिचय ] ( 'पृथ्वी गोल नहीं है, एवं वह घूमती भी नहीं है' इस बात को विज्ञान एवं शास्त्रों के अकाट्य प्रमाणों से सिद्ध करने का अपूर्व प्रयास ) वर्तमान भूगोल सम्बन्धी धारणाओं के बल पर नवयुगीन शिक्षितवर्ग के मानस में स्वर्ग, नरक, पुण्य-पाप एवं प्रात्मवाद आदि बातों के प्रति श्रद्धा शिथिल होती जा रही है तथा 'पृथ्वी गोल है, पृथ्वी घूमती है, भारत और अमेरिका के बीच सूर्य के उदयास्त का अन्तर, ध्रुव-प्रदेश में छः छः मास के रात-दिन, चन्द्रलोक में स्पुतनिकों को पहुँच, मंगल, और शुक्र के प्रवास की योजना' आदि प्राधुनिक वैज्ञानिकों की कल्पनातीत बातों के आधार पर "जैन शास्त्रों की बातें कोरी कल्पना हैं।" ऐसा कुतर्क उपस्थित हो रहा है। ___ इस मिथ्याभ्रम को दूर करने तथा शासन, धर्म और शास्त्रों के प्रति सच्ची श्रद्धा स्थिर करने के लिये परम पूज्य प्रागमोद्धारक ध्यानस्थ स्वर्गत प्राचार्य श्रीमानन्द सागरजी महा० सा० के पट्टधर पूज्य गच्छाधिपति प्राचार्य श्रीमारिणक्य सागरजी महा० सा० के मंगल आशीर्वाद एवं उत्साह पूर्ण प्रेरणा को पाकर कपड़वंज Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जैन श्रीसंघ ने सिद्धगिरि पालीताणा (सौराष्ट्र) में एक जम्बूद्वीप मन्दिर के निर्माण की योजना तैयार की है । जिसमें शास्त्रीय नाप से एक लाख योजन वाले इस जम्बूद्वीप की रचना सर्वसाधारण के समझने योग्य फुट और इंच के स्केल से १६० १६० फुट की प्रकृति में होगी, जिसके द्वारा सूर्य चन्द्र आदि की गति एवं पृथ्वीको वर्तमान परिस्थिति का सही चित्ररण दिखाकर प्रयोगात्मक रूप से प्राज के विसंवादी भौगोलिक प्रश्नों का बुद्धिगम्य सही निराकरण प्रस्तुत किया जायगा । इस मन्दिर के लिये श्रीसिद्धगिरि पालीतारणा में तलहटी के पास २७ हजार गज विशाल भूमि (प्लाट ) सवा लाख रुपये की लागत से खरीदने का मंगल कार्य वि० सं० २०२३ की श्रावण शुक्ला १० गुरुवार को किया जा चुका है । श्रतः भारतीय तत्त्वज्ञान की प्रतिष्ठा बढ़ाने वाले इस पवित्र कार्य में प्रत्येक आर्यसंस्कृति प्रेमी जनता को सहयोग देने का सादर निमन्त्रण है । निवेदक पूनमचन्द पानाचन्द शाह कार्यवाहक - श्रीजम्बूद्वीप-निर्माण-योजना कपड़वंज, जि० खेड़ा ( गुजरात ) www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ alcohilo वर्तमान विज्ञान की बातों के एवं शास्त्रीय बातों के तर -की दिशा में प्रेरक र 1. भूगोल-विज्ञान-समीक्षा- (प्राचीन IMIRE विचा 2. सोचो और समझो-(पृथ्वी के गोल आकार एवं भ्रमण के बारे में ___विज्ञान द्वारा प्रस्तुत कतिपय तर्कों का बुद्धिगम्य निराकरण) 3. क्या पृथ्वी का प्राकार गोल है? - (विज्ञान की कसौटी पर आवश्यक विश्लेषण) 4. पृथ्वी को गतिः एक समस्या 5. प्रश्नावली हिन्दी-(पृथ्वी के आकार एवं भ्रमण के विषय में) 6. प्रश्नावली-गुजराती ( 7. प्रश्नावली-अंग्रेजी ( 8. शुए खरू हो? (गुजराती) (भौगोलिक तथ्यों (!) के बारे में परिसंवाद) 8. कौन क्या कहता है ? भाग-१-२ (पृथ्वी की गति और आकार आदि के बारे में लब्ध प्रतिष्ठ भारतीय एवं पाश्चात्य विद्वानों का संकलन) इस विषय के अधिक विमर्श के लिये नीचे लिखे पते पर पत्र व्यवहार करें पूज्य मुनिराज श्री अभयसागर जी महाराज पुस्तक प्राप्तिस्थान c/o पं० रतिलालजी दोशी सेठ पूनमचन्द्र पानाचन्द्र शाह दिलीप नोवेल्टी स्टोर्स कार्यवाहक जम्बूद्वीप निर्माण योजना पो० ऑ० महेसाणा दलाल वाड़ा, पो० कपडवंज जि० अहमदाबाद जि० खेड़ा (गुजरात) आवरण मुद्रक-त्रिलोकी नाथ मीतल, अग्रवाल प्रेस, मथुरा (गुजरात) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com