Book Title: Pruthvi ke Akar evam Bhraman ke Vishay me Samikshtmak Prashnavali
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna
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( १० ) पर पहुँचा कि हम शीघ्र ही रात्रि के लिये सारी व्यवस्था कर लेते हैं, क्योंकि यहाँ तो सूर्य अस्त होते ही तत्काल अन्धकार पूर्ण रात्रि प्रारम्भ हो जाती है ।" इसकी संगति किस प्रकार होगी ? ।
क्योंकि उत्तर और दक्षिण के समान अक्षांशों पर उप:काल और सन्ध्याकाल समान रहने चाहिये । १०-यदि पृथ्वी गोल हो, तो
केप्टन जे० रास० ई० स० १८३८ में केप्टन फशियर के साथ दक्षिण को प्रोर अटलाण्टिक सर्कल में जहाँतक जाया जाय वहाँ तक गया और वहाँ के पर्वतों को ऊंचाई १०००० से १३००० फुट तक की नापी ।
वहां उन्हें ४५० फुट से लेकर १००० फुट तक की ऊँचाई वाली पक्की बर्फ की दीवाल मिली जिसके ऊपर का भाग समतल था, उस पर गड्ढा अथवा दरार जसा कुछ नहीं था।
उस दीवाल पर वे बड़े उत्माह के साथ संशोधनअन्वेषण के ध्येय से सतत चला रहे और इस प्रकार वे चार वर्ष तक चले, ४०००० मोल को यात्रा को, किन्तु उस दीवाल का अन्त नहीं पाया ।
ऐमा किस प्रकार हुआ ?
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