Book Title: Pravrajya Yog Vidhi
Author(s): Maniprabhsagar
Publisher: Ratanmala Prakashan

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Page 210
________________ मुहपत्ति का पडिलहण करें। शिष्य- खमा. इच्छकारी भगवन् पसायकरी पडिलेहण पडिलावोजी। गुरू-- पडिलेहेह। शिष्य - इच्छं। मुहपत्ति का पडिलेहण करें। शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् उपधि पडिलेहण संदिसाहुं। गुरू- संदिसावेह। शिष्य-- इच्छं। शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् उपधि पडिलेहण करूँ। गुरू- करेह। शिष्य- इच्छ। शिष्य- अणुजाणह जस्सुग्गहो वोसिरामि वोसिरामि वोसिरामि। शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् इरियावहियं पडिक्कमामि। गुरू- पडिक्कमेह। शिष्य- इच्छं। इरियावही. तस्स. अन्नत्थ. एक लोगस्स का कायोत्सर्ग सागरवरगंभीरा तक करें, प्रकट लोगस्स कहें। श्री दशवकालिक श्रुतस्कंध समुद्देस विधि- . 1. खमा. इच्छकारी भगवन्! तुम्हे अम्हं श्री दशवेकालिक सुयखंधं समुद्दिसह। गुरू- समुद्दिसामि। शिष्य- इच्छं। 2. खमा. संदिसह किं भणामि। गुरू-वंदित्तापवेयह। शिष्य- तहत्ति। 3. खमा. इच्छकारी भगवन्! तुम्हे अहं श्री दशवेकालिक सुयखंध समुद्धिह्र इच्छामो अणुसट्ठि। गुरू-- समुद्धिटुं समुद्धिजें खमासमणाणं हत्थेणं सुत्तेणं अत्थेणं तदुभएणं थिरपरिचियं करिज्जाहि। शिष्य- इच्छं। 4. खमा. तुम्हाणं पवेइयं संदिसह साहूणं पवेएमि। गुरू- पवेयह। शिष्य- इच्छं। 5. खमा. देकर नवकार मंत्र गिनते हुए तीन प्रदक्षिणा दें। गुरू महाराज से वासक्षेप लें। 6. खमा. तुम्हाणं पवेइयं साहूणं पवेइयं संदिसह काउस्सग्गं करेमि। गुरू- करेह। शिष्य- इच्छं। 7. खमा. इच्छकारी भगवन्! तुम्हे अम्हं श्री दशवेकालिक सुयखंधं समुद्देसावणी करेमि काउस्सग्गं अनत्थ. कहकर सागरवरगंभीरा तक एक लोगस्स का काउसग्ग करे। पारकर प्रगट लोगस्स कहें। योग विधि / 203

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