Book Title: Pravrajya Yog Vidhi
Author(s): Maniprabhsagar
Publisher: Ratanmala Prakashan

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Page 209
________________ चौदहवां दिन वसति संशोधन विधि- .. योगाद्वहन करने वाले वसति संशोधन करें तथा उपाश्रय में प्रवेश करते समय तीन बार निसीहि कहें और गुरू महाराज के समीप जाकर हाथ जोड़कर सिर झुकाकर 'भगवन् सुद्धावसहि' कहें। शिष्य --- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् इरियावहियं पडिक्कमामि। गुरू... पडिक्कमेह। शिष्य-- इच्छं। इरियावही. तस्स. अनत्थ. एक लोगस्स का कायोत्सर्ग सागरवरगंभीरा तक करें, प्रकट लोगस्स कहें। शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् वसति पवेवा मुहपति पडिलेडं। गुरू-- पडिलेहेह। शिष्य- इच्छं। मुहपत्ति का प्रतिलेखन करें। शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् वसति संदिसाहुं। गुरूसंदिसावेह। शिष्य-- इच्छं। -. शिष्य- खमा. भगवन् सुद्धावसहि। गुरू- तहत्ति। शिष्य-- इच्छं। पडिलेहण विधि शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् इरियावहियं पडिक्कमामि। गुरू-- पडिक्कमेह। शिष्य - इच्छं। इरियावही. तस्स. अन्नत्थ. एक लांगस्स का कायोत्सर्ग सागरवरगंभीरा तक . करें. प्रकट लोगस्स कहें। शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पडिलेहण संदिसाहु। गुरू- संदिसावेह। शिष्य- इच्छं। ___ शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पडिलेहण करूँ। गुरूकरेह। शिष्य- इच्छं। - मुहपत्ति का पडिलेहण करें। . शिष्य- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् अंग पडिलेहण संदिसाहुं। गुरू- संदिसावेह। शिष्य- इच्छं। शिष्य-- खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् अंग पडिलेहण करूँ। गुरू- करेह। शिष्य-- इच्छं। 202 / योग विधि

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