Book Title: Pravrajya Yog Vidhi
Author(s): Maniprabhsagar
Publisher: Ratanmala Prakashan

Previous | Next

Page 213
________________ पन्द्रहवां दिन वसति संशोधन विधि योगोद्वहन करने वाले वसति संशोधन करें तथा उपाश्रय में प्रवेश करते समय तीन बार निसीहि कहें और गुरू महाराज के समीप जाकर हाथ जोड़कर सिर झुकाकर 'भगवन् सुद्धावसहि' कहें। शिष्य- खमा इच्छाकारेण संदिसह भगवन् इरियावहियं पडिक्कमामि । गुरू- पडिक्कमेह । शिष्य- इच्छं । इरियावही. तस्स. अन्नत्थ. एक लोगस्स का कायोत्सर्ग सागरवरगंभीरा तक करें, प्रकट लोगस्स कहें। शिष्य - खमा इच्छाकारेण संदिसह भगवन् वसति पवेवा मुहपति पडिलेहूं । गुरू- पडिलेहेह । शिष्य- इच्छं । मुहपत्ति का प्रतिलेखन करें। शिष्य - खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् वसति संदिसाहुं । गुरूसंदिसावेह | शिष्य-- इच्छं । शिष्य - खमा. भगवन् सुद्धावसहि । गुरू- तहत्ति । शिष्य- इच्छं । पडिलेहण विधि शिष्य- खमा इच्छाकारेण संदिसह भगवन् इरियावहियं पडिक्कमामि । गुरू- पडिक्कमेह । शिष्य- इच्छं । इरियावही तस्स. अन्नत्थ. एक लांगस्स का कायोत्सर्ग सागरवरगंभीरा तक करें, प्रकट लोगस्स कहें। शिष्य - खमा इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पडिलेहण संदिसाहु । गुरू- संदिसावेह | शिष्य- इच्छं । शिष्य - खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् पडिलेहण करूँ । गुरूकरेह | शिष्य - इच्छं । मुहपत्ति का पडिलेहण करें। शिष्य - खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् अंग पडिलेहण संदिसाहूं । गुरू- संदिसावेह | शिष्य- इच्छं । शिष्य - खमा. इच्छाकारेण संदिसह भगवन् अंग पडिलेहण करूँ । गुरू- करेह | शिष्य-- इच्छं । 206 / योग विधि

Loading...

Page Navigation
1 ... 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248