Book Title: Pravrajya Yog Vidhi
Author(s): Maniprabhsagar
Publisher: Ratanmala Prakashan

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Page 220
________________ तेअग्गिनिसग्गाणं उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ सव्वेसिपि एएसिं उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ जइ अंगपविट्ठस्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ किं आयारस्स सुअगडस्स ठाणस्स समवाअस्स. विवाहपन्नत्तीए नायाधम्मकहाणं उवासगदसाणं अणुत्तरोववाइअदसाणं पण्हावागरणाणं विवागसुअस्स दिट्ठीवाअम्स उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ सव्वेसिपि एएसिं उद्देसो समुद्देसो अणुन्ना अनुओगो य पवत्तइ। __फिर तीन प्रदक्षिणा दें। नीचे लिखा पाठ नाम पूर्वक बोलकर तीन बार वासक्षेप डालें। इमं पुण पट्ठवणं पडुच्च ............ साहुस्स/साहुणीए दसवेआलियस्स अणुना नंदी पवत्तइ नित्थारगपारगाहोह। __ शिष्य- इच्छामो अणुसट्ठि। हर बार कहें। दशवैकालिक श्रुतस्कंध अनुज्ञा विधि. 1. खमा. इच्छकारी भगवन्! तुम्हे अम्हं श्री दशवैकालिक सुयखधं अणुजाणह। गुरू-- अणुजाणामि। शिष्य- इच्छं। 2. खमा. संदिसह किं भणामि। गुरू-वंदित्तापवेयह। शिष्य- तहत्ति। 3. खमा. इच्छकारी भगवन्! तुम्हे अम्हं श्री दशवैकालिक सुयखंधं अणुनायं इच्छामो अणुसट्ठि। गुरू- अणुनायं अणुन्नायं खमासमणाणं हत्थेणं सुत्तेणं अत्थेणं तदुभएणं सम्म धारणीयं चिरं पालणीयं अन्नेसिं पि पवेणीयं गुरूगुणेहिं वुड्ढिजाहि नित्थारगपारगाहोह। (यदि साध्वीजी म. के .योगांद्वहन हो तो अनसिं पि पर्वणीयं' यह पद नहीं कहें)। शिष्य- इच्छामो अणुसट्ठि। 4. खमा. तुम्हाणं पवेइयं संदिसह साहूणं पवेएमि। गुरू-- पवेयह। शिष्य- इच्छ। 5. खमा. देकर नवकार मंत्र गिनते हुए तीन प्रदक्षिणा दें। गुरू महाराज से वासक्षेप लें। 6. खमा. तुम्हाणं पवेइयं साहूणं पवेइयं संदिसह काउस्सग्गं करेमि। गुरू- करेह। शिष्य- इच्छं। ___7. खमा. इच्छकारी भगवन्! तुम्हे अम्हं श्री दशवैकालिक सुयखंधं अणुजाणावणी करेमि काउस्सग्गं अन्नत्थ. कहकर सागरवरगंभीरा तक एक लोगस्स का काउसग्ग करे। पारकर प्रगट लोगस्स कहें। योग विधि / 213

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