Book Title: Pravachana Saroddhar Part 1
Author(s): Hemprabhashreeji
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 462
________________ प्रवचन-सारोद्धार ३९९ से एवं ज्ञानादि के अतिचारों का सेवन करने से जिसने अपने संयम को सर्वथा असार कर दिया है, वह पुलाक है। उसके दो भेद हैं-१. लब्धि पुलाक और २. प्रतिसेवना पुलाक। मूलगुण व उत्तरगुण में परिपूर्ण न होने पर भी जो वीतराग प्रणीत आगम के प्रति श्रद्धावान है, वह पुलाक है। (१.) लब्धि पुलाक–इन्द्र के समान समृद्धिशाली, संघादि का कार्य उपस्थित होने पर चक्रवर्ती की सेना को भी चूर्ण करने वाली लब्धि से सम्पन्न । किसी का मत है कि ऐसी लब्धि का उपयोग करने वाला ज्ञान-पुलाक ही लब्धि पुलाक कहलाता है। (२.) प्रतिसेवना पुलाक-इसके पाँच भेद हैं__ (i) ज्ञान पुलाक, (ii) दर्शन पुलाक, (iii) चारित्र पुलाक, (iv) लिंग पुलाक और (v) यथासूक्ष्म पुलाक। (i) ज्ञान पुलाक-स्खलनादि दोषों से ज्ञान की विराधना द्वारा आत्मा को असार बनाने वाला ज्ञान पुलाक है। (ii) दर्शन पुलाक-मिथ्या-दृष्टि के संस्तव आदि से दर्शन की विराधना द्वारा आत्मा को असार 'करने वाला दर्शन पुलाक है। (iii) चारित्र पुलाक-मूल-गुण और उत्तर गुण की विराधना द्वारा आत्मा को असार बनाने वाला चारित्र पुलाक है। (iv) लिंग पुलाक—आगमोक्त प्रमाण से अधिक उपकरण ग्रहण करने वाला, निष्कारण गृहस्थ व कुतीर्थिकों के लिंग-धारण करने वाला लिंग पुलाक है। लिंग = वेशभूषा आदि । (v) यथासूक्ष्म पुलाक—प्रमाद वश या जानबूझकर अकल्प्य वस्तु को ग्रहण करने वाला। अन्यमते-ज्ञान-पुलाक आदि पूर्वोक्त चार भेदों में अल्प विराधना करने वाला यथासूक्ष्म पुलाक है ॥ ७२३ ॥ २. बकुश-शबल, कर्बुर और बकुश ये तीनों ही एकार्थक हैं। अतिचार रूपी मैल से जिसका चारित्र मलिन (शुद्धाशुद्ध) हो गया है वह बकुशनिम्रन्थ है। यह दो प्रकार का है- १. उपकरण बकुश और २. शरीर बकुश। (१.) उपकरण बकुश अकारण वस्त्र धोने वाला, उत्तम वस्त्र की चाह रखने वाला, विभूषा के भाव से पात्र, डंडे इत्यादि को तेल लगाकर चमकाने वाला। (२.) शरीर बकुश-हाथ-पाँव आदि धोने वाला, आँख, नाक की सफाई करने वाला, केश, नख, दाँत को संवारने वाला । (विभूषा के भाव से ।) पूर्वोक्त दोनों ही प्रकार के बकुश के पाँच भेद हैं (i) आभोग बकुश–साधु को शरीर, उपकरण आदि की विभूषा नहीं करनी चाहिये ऐसा जानते हुए भी विभूषा करने वाला। (ii) अनाभोग बकुश-शरीर, उपकरण आदि की अज्ञानवश विभूषा करने वाला। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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