Book Title: Pravachana Saroddhar Part 1
Author(s): Hemprabhashreeji
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 460
________________ प्रवचन - सारोद्धार नाणे दंसण चरणे तवे य अहसुहुमए चेव ॥७२५ ॥ उवसामगो य खवगो दुहा नियंठो दुहावि पंचविहो । पढमसमओ अपढमो चरम अचरमो अहासुमो ॥७२६ ॥ पाविज्जइ अट्ठयं खवगाणुवसामगाण चउपन्ना। उक्कोसओ जहन्नेणेक्को व दुगं व तिगमहवा ॥७२७ ॥ सुहझाणजलविसुद्धो कम्ममलावेक्खया सिणाओत्ति । दुविहोय सो संजोगी तहा अजोगी विणिद्दट्ठो ॥७२८ ॥ मूलुत्तरगुणविसया पडिसेवा सेवए पुलाए य। उत्तरगुणेसु बउसो सेसा पडिसेवणारहिया ॥७२९ ॥ निग्गंथसिणायाणं पुलायसहियाण तिह वोच्छेओ । समणा उसकुसीला जा तित्थं ताव होहिंति ॥ ७३० ॥ -गाथार्थ पाँच प्रकार के निर्ग्रन्थ - १. पुलाक, २. बकुश, ३. कुशील, ४. निर्ग्रन्थ एवं स्नातक - ये पाँच प्रकार के निर्ग्रन्थ हैं। इनमें से प्रत्येक के दो-दो भेद हैं ।। ७१९ ।। ग्रन्थ अर्थात् ग्रन्थि - गाँठ । मिथ्यात्वादि रूप आभ्यन्तर ग्रन्थि एवं धनादि रूप बाह्य ग्रन्थि से जो रहित हो चुके हैं वे निर्ग्रन्थ कहलाते हैं । उनमें पुलाक निर्ग्रन्थ प्रथम है ।।७२० ।। मिथ्यात्व, तीन वेद, हास्यादि षट्क एवं क्रोधादि चार---- - ये चौदह आभ्यन्तर ग्रन्थियाँ हैं ।। ७२१ ।। क्षेत्र, वास्तु, धन-धान्य का संग्रह, मित्र-ज्ञाति वर्ग का संयोग, वाहन, शयन, आसन, दास-दासी एवं घरेलू सामान - ये दस बाह्यग्रन्थि हैं ।। ७२२ । धान्य रहित छिलके 'पुलाक' कहलाते हैं । छिलके जैसा सारहीन जिसका चारित्र है, वह साधु पुलाक कहलाता है। लब्धिपुलाक और सेवापुलाक के भेद से पुलाक द्विविध है ॥७२३ ॥ बकुश के दो भेद हैं— उपकरण बकुश और शरीर बकुश। दोनों प्रकार के बकुश १. आभोग, २. अनाभोग, ३. संवृत्त, ४. असंवृत्त एवं ५. सूक्ष्म के भेद से पाँच प्रकार के हैं । ७२४ ॥ कुशील के दो भेद हैं—आसेवनाकुशील और कषाय कुशील । ये दोनों पाँच प्रकार के हैं - १. ज्ञानकुशील, २. दर्शनकुशील, ३. चारित्रकुशील, ४. तपकुशील एवं ५. सूक्ष्मकुशील ॥७२५ ।। निर्ग्रन्थ दो प्रकार के हैं— उपशामक और क्षपक । इन दोनों के पाँच-पाँच भेद हैं- १. प्रथमसमयी, २. अप्रथमसमयी, ३. चरमसमयी, ४. अचरमसमयी तथा ५ यथा सूक्ष्म ॥७२६ ।। ३९७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504