Book Title: Pravachana Saroddhar Part 1
Author(s): Hemprabhashreeji
Publisher: Prakrit Bharti Academy

View full book text
Previous | Next

Page 496
________________ प्रवचन - सारोद्धार ४३३ होने की सम्भावना रहती है तथा लोकों में उपहास पात्र बनते हैं कि ये मुनि विष्ठा सूँघने वाले हैं । ७८७ ॥ छाया - जिस मुनि का मलद्वार... बेइन्द्रिय जीवों से संसक्त हो तो उसे स्थंडिल जाते समय वृक्षादि की छाया में बैठना चाहिये ताकि मल में रहे हुए 'कृमि' इत्यादि ताप से न मरे । स्थंडिल तीसरे प्रहर में जाना होता है अतः यदि छाया न हो तो मलोत्सर्ग करने के बाद थोड़ी देर अपने शरीर की छाया मल पर रखे ताकि कृमि आदि अपनी आयु पूर्ण होने से स्वतः मर जाये पर उनकी मृत्यु में साधु निमित्त ब । अन्यथा गर्मी के कारण उन जीवों को महती पीड़ा होती है । ७८८ ॥ न उपकरण धारण- स्थंडिल जाते समय रजोहरण, दांडा आदि बांयी जांघ पर मात्रक ( तिरपनी ) दायें हाथ में व गुदा निर्लेप करने हेतु पाषाण खण्ड बांये हाथ में रखे । ¡ मलोत्सर्ग करने के बाद उसी स्थान में या थोड़ा खिसक कर गुदा निर्लेप करने के लिये पाषाण- खण्ड का उपयोग करे, फिर तीन चुल्लुक पानी से गुदा की शुद्धि करे। गुदा की शुद्धि मलोत्सर्ग के स्थान से अधिक दूर जाकर नहीं करे। यदि कोई गृहस्थ देख ले तो मुनि का उपहास करे कि ये कैसे साधु जो बिना शुद्धि किये ही चले गये ।। ७८९ ।। हैं १०७ द्वार : दीक्षा- अयोग्य पुरुष - बाले वुड्ढे नपुंसे य कीवे जड्डे य वाहिए । तेणे रायावगारी य, उम्मत्ते य अदंसणे ॥७९० ॥ दासे दुट्ठे य मूढे य, अणत्ते जुंगिए इय । ओबद्ध य भए, सेहनिप्फेडिया इय ॥७९१ ॥ -गाथार्थ दीक्षा के अयोग्य पुरुष - बाल, वृद्ध, नपुंसक, क्लीब, जड़, रोगी, चोर, राजद्रोही, उन्मत्त, अंध, दास, दुष्ट, मूढ़, कर्जदार, निन्दित, परतन्त्र, भृत्य एवं शैक्षनिष्फेटिका - ये अट्ठारह पुरुष दीक्षा के अयोग्य हैं ।। ७९०-७९१ ।। -विवेचन १. बाल- जन्म आठ वर्ष तक का बालक दीक्षा के लिये अयोग्य है । स्वभाववश देशविरति या सर्वविरति ग्रहण नहीं कर सकता। (इसमें गर्भ के ९ मास नहीं गिने जाते) कहा है- ' वीतराग परमात्मा दीक्षा की जघन्य आयु आठ वर्ष बताई है।” निशीथचूर्णि के मतानुसार - गर्भ के नौ मास सहित आठ वर्षीय बालक को दीक्षा दी जा सकती है । " आदेसेण वा गब्भट्ठमस्स दिक्खति । " Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504