Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

Previous | Next

Page 13
________________ लेखों का वैशिट्य सामान्यतः मूर्ति लेखों में सम्वत्, मास, तिथि, वार, मूर्ति-निर्माता की ज्ञाति (वंश), गोत्र, पिता-माता एवं परिवार का उल्लेख करते हुए तीर्थंकर का नाम और प्रतिष्ठापक आचार्य के गच्छ का नाम, आचार्य के गुरु का नाम और स्वयं के नाम का उल्लेख होता है। किन्हीं-किन्हीं लेखों में शासक का नाम और नगर का नाम भी प्राप्त होता है। शिलालेख प्रशस्तियाँ विस्तृत होती हैं, कई पद्यों में गुम्फित होती हैं। उनमें नगर का वर्णन, राज-परिवार का नामों के साथ वर्णन, निर्माता के पूर्वजों और परवर्ती पुत्र-पौत्र-प्रपौत्र आदि का वर्णन, उनके द्वारा विहित मन्दिर-मूर्तियों का, तीर्थ-यात्राओं, पुस्तक लेखन, भण्डार-स्थापन और धार्मिक कृत्यों का भी विशद वर्णन मिलता है। इसके साथ ही प्रतिष्ठापक आचार्य के गच्छ का उल्लेख करते हुए पूर्ववर्ती आचार्य परम्परा का नामोल्लेख के साथ यशस्वी वर्णन और उनके अधीनस्थ विद्वत् साधुगणों का भी वर्णन मिलता है। इसके साथ ही मन्दिर-निर्माता या मूर्ति-निर्माता के सूत्रधार का उल्लेख भी यथा-स्थान प्राप्त होता है। कतिपय लेखों में राजनैतिक और धार्मिक उथल-पुथल के भी संकेत प्राप्त होते हैं। प्रस्तुत लेख संग्रह से कई विशिष्ट जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। जिनका लेखांक के साथ उल्लेख करना पुरातत्त्व अध्येताओं के लिए आवश्यक है। लेखांक ११७-११८- सम्वत् १५२१ में प्राग्वाट ज्ञातीय सं० अर्जुन ने ७२ चतुर्विंशति पट्टों (चौबीसियों) का निर्माण करवाया था। लेखांक १२९- यह शिलालेख प्रशस्ति ४९ पद्यात्मक है। इसमें वागडदेश के गिरिपुर का वर्णन करते हुए सोम-महीपति के पूर्वजों का भी सुन्दर एवं सालंकारिक वर्णन है। उनके मंत्री, साधु साल्हराज के पूर्वजों और परिवार का विस्तार से वर्णन है। साधु साल्हराज न केवल धर्मनिष्ठ व्यक्ति ही थे अपितु राजनीतिज्ञ और युद्ध-कला निपुण भी थे। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 ... 218