Book Title: Prastavana Trayi
Author(s): Shobhanmuni, Ajitsagarsuri
Publisher: Buddhisagarsuri Jain Gyanmandir

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Page 86
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ अर्घ्यम् ॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( वसन्ततिलकावृत्तम् ) विद्वज्जनप्रथितकीर्त्तिकला कलापं, सद्विद्यया विदितवाग्मिवरप्रभावम् । निर्मानमोह रिपुजालमनन्यशोभं, नित्यं स्मरामि मुनिशोभनमात्मनिष्ठम् ॥ १ ॥ कन्दर्पदर्पदलनैकसमुद्यतं तं, विद्राविताऽशुभभयप्रदवैरिवर्गम् । यत्पादपद्मनतमानवमुद्धरन्तं, नित्यं स्मरामि मुनिशोभनमात्मनिष्ठम् ॥ २ ॥ दिग्देश वृन्दविदितोत्तमकाव्यशक्तिं, विद्याविलासिजनताऽर्पितमोदराशिम् । सत्काव्यशोधनपरैः स्तुतमेकनाद, नित्यं स्मरामि मुनिशोभनमात्मनिष्ठम् ॥ ३ ॥ यः पितृतुष्टिकरणाय वचस्तदीय, - मङ्गीचकार जिनधर्मरतिं दधानः । दीक्षां ललौ च सुगुरोश्चरणारविन्दे, तं नौमि शोभनमुनिप्रवरं सदाहम् For Private And Personal Use Only ५४॥

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