Book Title: Prashnavyakaranasutram
Author(s): Abhaydevsuri,
Publisher: Agamoday Samiti
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प्रश्नव्याकर० श्रीअभयदेव.
१ आश्रवे वधकवध्यप्रयोजनानि सू०३
वृत्तिः
॥८॥
तप्परिणतवण्णगंधरसफासबोंदिरूवे अचक्खुसे चक्खुसे य तसकाइए असंखे थावरकाए य सुहुमवायरपत्तेयसरीरनामसाधारणे अणंते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते?, करिसणपोक्खरणीवाविवप्पिणिकूवसरतलागचितिवेतियखातियआरामविहारथूभपागारदारगोउरअट्टालगचरियासेतुसंकमपासायविकप्पभवणघरसरणलेणआवणचेतियदेवकुलचित्तसभापवाआयतणावसहभूमिघरमंडवाण य कए भायणभंडोवगरणस्स विविहस्स य अहाए पुढविं हिंसंति मंदबुद्धिया जलं च मजणयपाणभोयणवत्थधोवणसोयमादिएहिं पयणपयावणजलावणविदंसणेहिं अगणिं सुप्पवियणतालयंटपेहुणमुहकरयलसागपत्तवत्थमादिएहिं अणिलं अगारपरिवा[डिया]रभक्खभोयणसयणासणफलकमुसलउखलततविततातोजवहणवाहणमंडवविविहभवणतोरणाविडंगदेवकुलजालयद्धचंदनिजूगचंदसालियवेतियणिस्सेणिदोणिचंगेरिखीलमेढकसभापवावसहगंधमल्लाणुलेवणंबरजुयनंगलमइयकुलियसंदणसीयारहसगडजाणजोग्गअट्टालगचरिअदारगोपुरफलिहाजंतसूलियलउडमुसंढिसतग्घिबहुपहरणावरणुवक्खराण कते, अण्णेहि य एवमादिएहिं बहूहिं कारणसतेहिं हिंसन्ति ते तरुगणे भणिता एवमादी सत्ते सत्तपरिवजिया उवहणन्ति दढमूढा दारुणमती कोहा माणा माया लोभा हस्सरतीअरती सोय वेदत्थी जीयकामत्थधम्महेउं सवसा अवसा अट्ठा अणहाए य तसपाणे थावरे य हिंसंति हिंसंति मंदबुद्धी सवसा हणंति अवसा हणंति सवसा अवसा दुहओ हणंति अट्ठा हणंति अणहा हणंति अट्ठा अणट्ठा दुहओ हणंति हस्सा हणंति वेरा
॥८॥
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