Book Title: Pramana Mimansa Tika Tippan
Author(s): Hemchandracharya, Sukhlal Sanghavi, Mahendrakumar Shastri, Dalsukh Malvania
Publisher: ZZZ Unknown
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पृ० ३६. पं० १७] भाषाटिप्पणानि ।
१४३ जाता है इसीलिए उससे कोई सिद्धि नहीं हो पाती। अगर हेतु सभी सपनों और सभी विपक्ष में रहता है तब वह साधारण हेत्वाभास हो जाता है अत: उससे भी कोई सिद्धि नहीं हो पाती। उपरोक्त दो साधारण और असाधारण हेत्वाभासो का प्रयोग व्यवहार में विरल है फिर भी उनका सैद्धान्तिक महत्त्व कम नहीं है क्योंकि वे हेत्वाभास की दो अन्तिम सीमा के निदर्शक हैं और उन दोनों अवस्थाओं के बीच ही कहीं हमें सत् हेतु मिल 5 सकता है। बाकी के तीन अनैकान्तिक बचते हैं और असल में ये तीन ही अनैकान्तिक नाम के योग्य हैं क्योंकि ये तीन ही ऐसे हैं जो सपक्ष में रहकर भी या तो सभी विपक्षों में रहते हैं या कुछ विपक्षों में। - इस तरह हेतु की सपक्ष और विपक्ष में भिन्न भिन्न नव अवस्थितियों के आधार पर दो सत् हेतु होंगे, दो विरुद्ध हेत्वाभास होंगे, दो अन्तिम दो सीमा को दिखानेवाले साधा- 10 रण और असाधारण हेत्वाभास होंगे और बाकी के तीन विपक्ष में भी रहने के कारण अनेकान्तिक होंगे। देखो-Buddhist Logic. Vol I. P. 321-323.
( कोष्ठक के लिये देखो पृ० १४४)
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