Book Title: Pramana Mimansa Tika Tippan
Author(s): Hemchandracharya, Sukhlal Sanghavi, Mahendrakumar Shastri, Dalsukh Malvania
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 332
________________ ६. भाषाटिप्पणगत शब्दों और विषयों की सूची। सांख्ययोग, न्याय वैशेषिक का परप्रत्यक्षवाद । धर्मकीर्ति को क्या अभिमत है ? ८६. १२ १३१.१० बौद्धों के मतानुसार दोनों आवश्यक ८६.२७ कुमारिलका परानुमेयवाद १३१. १९ जैनाभिमत केवलव्यतिरेक ८७.४ . हेमचन्द्र १३२. १ हेतुसम (जाति) ११४ १६ स्वप्रकास १३६. १७ हेतुस्वरूप स्वप्रकाशत्व १० २५ वैशेषिक, सांख्य और बौद्धसमत त्रैरूप्य ८१.. स्वप्रकाशवादी १०.२५% १३०. २६ नैयायिकसम्मत पाश्चरूप्यं ८१.१४ स्वप्रत्यक्ष १३०. १५१३६ १७ अर्चट और श्रीधरकृत त्रैरूप्य में पाश्चरूप्य का स्वप्रत्यक्षवादी १३७. २ समावेश ०१.. स्वभाव ८३.३० स्वसंवित्ति ६७. १४ गदाधर सम्मत त्रैरूप्य ०१. २२ स्वसंविदितत्व ६.१८ अज्ञातत्वरूप हेतु का छठवां रूप =१. २४ जैनसम्मत अविनाभावनियमरूप हेतु ८२.४ स्वसंवेदन ६७.२१ स्वाभासी१३६. १५ एकरूप के प्रथम समर्थक पात्र स्वामी २.९ स्वार्थविरुद्ध (जाति) ११४. १४ त्रैरूप्य और पाञ्चरूप्य का जैनाचार्यकृत खण्डन ८२.१५ हेमचन्द्र की विशेषता ८२, २६ , हानोपादानोपेक्षाबुद्धि ६७.४; ६.. 'अन्यथानुपपनत्वं' कारिका का मनोरञ्जक इतिहास अकलङ्क-मणिक्यनन्दी-विद्यानन्द का वर्गीकरण ३.६ बौद्ध-वैशेषिक के आधार पर ८३.२३ हेस्वाभास १२५. १४, १४२.१४ देवसूरि का वर्गीकरण ८४.१५ . हेत्वाभास हेमचन्द्रकृत हेतु के प्रकार ८५.४ अक्षपाद कथित पांच ६६.१५ वाचस्पतिके द्वारा बौद्ध-वैशेषिककृत वर्गीकरण का | वैशेषिक संमत तीन-चार६.१५ खण्डन =५.८ भासर्वज्ञकथित छः ६६.२० हेतु ६६.८ बौद्धसांख्य संमत तीन १६. २२ हेतुचक्र. १५२. १५:१४४. श्वेतांबर संमत तीन ७.३ हेतुस्वप्रयोजक अकलंकादि दिगंबर सम्मत चार ६७.. नैयायिकादि के मतानुसार यथासंभव अन्वय | अकिञ्चित्कर और अप्रयोजक ६७... और व्यतिरेक दोनों द६.. हेमचन्द्र और माणिक्यनन्दीकृत विवेक 86.५ हेतु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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