Book Title: Pramana Mimansa Tika Tippan
Author(s): Hemchandracharya, Sukhlal Sanghavi, Mahendrakumar Shastri, Dalsukh Malvania
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 321
________________ ६. भाषाटिप्पणगत शब्दों और विषयों की सूची। १९ जैनदर्शन ही क्यों अनेकान्तवादी? ६१. १२ | अप्रयोजक ( हेत्वाभास ) ६७. १२ जैन-बौद्ध का अनेकान्तवाद ६२. ५ अप्रयोजकत्वशङ्का ७७.८ जैन, मीमांसक और सांख्य का अनेकान्तवाद अप्राप्तिसम (जाति) ११३. अबाधितविषयत्व १.१४ ६२. १३ पहिले खण्डनकार बौद्ध ६३. ८ अभाव (दोष) ६५.११ ब्रह्मसूत्रगत अनेकान्तवादखण्डन किसका है ? अभावप्रमाणवाद की प्राचीनता २६.१ ६३. १२ अनेकान्तके ऊपर विरोधादि आठ दोष । कुमारिल और प्रभाकर का मतमेद २६.५ ६४. ६; ६५.८ अभिनिबोध २३. ४ दोषोद्धार करनेवाले अकलङ्क और हरिभद्र ६४.२१ अभूत (लिङ्ग) ८४.७ सप्तभङ्गी, स्याद्वाद, नयवाद और निक्षेप ६४.२६ अभ्यासदशा १७.२० अर्थ देखो विरोधसंशयादिदोष न्याय-वैशेषिकसम्मत त्रैविध्य 8. ६ अनेकान्तवादी ६१.१४ धर्मोत्तर-प्रभाचन्द्र का द्वैविध्य ७ . अनैकान्तिक देवसूरि-अभयदेव का त्रैविध्य ६.९ नैयायिकों के सव्यभिचार और वैशेषिकों के हेमचन्द्र १०.५ सन्दिग्ध की तुलना १००. १४. अर्थापत्ति २११० न्यायप्रवेश और प्रशस्तपादसंमत संशयजनकत्व अर्थापत्तिसम ११४. ५ रूपनियामकतत्त्व १०१. ३ अर्थालोककारणतावाद असाधारण और विरुद्धाव्यमिचारी के संशयजन बौद्ध और नैयायिक सम्मत ४४.१२ कत्वका प्रशस्तपादकृत खण्डन १०१.९ अर्थोपलब्धिहेतु (प्रमाण ) १६. ४ प्रशस्तपाद को धर्मकीर्ति का जवाब १०२. १० अलौकिकनिर्विकल्पक १२६. ९ जयन्तकृत प्रशस्तपादका समर्थन १०३.. अलौकिकप्रत्यक्ष १३३. ४. न्यायसार १०३.६ अलौकिकप्रत्यक्षवाद ७५. २७ जैनपरम्परा १०३. ९ अवग्रह ४६.४ . अनैकान्तिक १४२. २९; ३३, १४३. ६ भवधि (ज्ञान ) १२८. १९ अन्तःकरण ४०. २३ देखो मन अवधि (दर्शन ) १२६. १२; १२८. १७ अन्यथानुपपत्ति ८७.८ अवयव २०. १५; ६४. १५ देखो न्यायवाक्य अन्यथानुपपनत्व २.१७ देखो हेतु अवर्ण्यसम (जाति ) ११३. २३ अन्यथासिद्ध (हेत्वाभास)६७. १२ अवाय भन्वय ८६.९ अवायशब्द की प्राचीनता ४६.१५ अपकर्षसम ( जाति ) ११३. २१ अवाय और अपाय के अकलङ्ककृत अर्थमेद अपरोक्ष १३५.५ ४६..२० अपाय ४६. १७ देखो अवाय अविकल्प १६. २१ अपूर्व १२. ६; १३. १२; १४.१० अविकल्पक १२६. २६ अपौरुषेयत्व १८.१९,१३२. १६ अविध्युति ४७. ११ देखो धारणा अपौरुषेयवेदवादी २८.४ अविद्यानाश ६६.११ अप्रतिपत्ति ( दोष ) ६५. १५ अविनाभाव ७८.२५ देखो व्याप्ति अप्रतिपत्ति (निग्रहस्थान)११६.३१ भविनाभावनियम ८२. ४ . अप्रत्यक्षोपलम्भ ११.३ अविरुद्ध (जाति) ११४.१७ भप्रदर्शितव्यतिरेक ( दृष्टान्ताभास) १०७. ७ . भविशेषसम (जाति) ११४. ६ भप्रदर्शितान्वय ( ) १०७. ६ | अन्यतिरेफ ( दृष्टान्ताभास) १०७. ३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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