Book Title: Prakrit Vyakaranam Author(s): Charanvijay Publisher: Atmanand Jain Sabha View full book textPage 3
________________ - समर्पण शान्त्यादि अनेक शुभगुण गणालंकृत विद्वान् माननीय पूज्यप्रवर मुनिवर्य श्रीमान् पुण्यविजयजी महाराजनी पुनित सेवामां ! सादर निवेदन करवान के सं० १९८४ नुं चौमासु पूज्यपाद प्रातःस्मरणीय आचार्य भगवान श्रीविजयवल्लभसूरीश्वरजी महाराजनी शीतल छत्र छायामां पाटणशहेरमा कयु. ते समये सेवके आपनी पासे श्रीहे. मचन्द्राचार्य महाराज रचित प्राकृतव्याकरण भणवानी हार्दिकभावना दरशावी. आपे आपना बहुमूल्य समयनो भोग आपी मने ते शीखव्यु. आपनी दयाथी अने श्रीगुरुदेवनी कृपाथी सेवक ने प्राकृत-मागधी विगेरे भाषानो यत्किंचित् बोध थयो. आ महान् उपकारने लइने आप पूज्यने ज आपनी अनीच्छाए पण आ प्राकृतव्याकरण नामनुं पुस्तक नम्र भावे सादर समर्पण करुं छु. आशा छे आप जरुर तेनो स्वीकार करशो. कृपाभिलाषी सेवक चरण.Page Navigation
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