Book Title: Prakrit Vyakarana
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Gujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
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३२३ वज्ज + अणअ = वज्जणअ = वज्जणउ - वादक : भस + अणअ = भसणअ = भसणउ - भषक : जा + अणअ = जाणअ = जाणउ - ज्ञायक :
प्रकरण १४
तद्धित १ . 'तेनुं आ' ए अर्थमां नामने 'केर ' प्रत्यय लागे छे अने अपभ्रंशमां · 'आर' प्रत्यय लागे छे. अस्मद् + केर = अम्हकेरें ( अस्माकमिदम् अस्मदीयम् )
अप० अम्हारु, महारु, युष्मद् + केर = तुम्हकेरं (युष्माकमिदम् युष्मदीयम् ) ___ अप० तुम्हारु, तुहारु, पर न केर = परकेरं (परस्य इदम् परकीयम् ) राज + केर = रायकरें (राज्ञः इदम् राजकीयम् )
२ . "तेमां थएल ' ए अर्थमा नामने ' इल्ल' अने उल्ल' प्रत्यय लागे छः इल्ल-गाम + इल्ल = गामिल्लं (ग्रामे भवम् ) स्त्री० गामिल्ली । १ संस्कृतनी पेठे पालिमां आ अर्थमा 'ईय' प्रत्यय वपराय छः मदनीयं (मदनस्य स्थानम् )
पालिप्र० पृ. २६० २ आ 'आर' प्रत्यय प्रायः 'युष्मद् ''अस्मद् ' ' त्वत्' अने ' मत् ' शब्दोने लागे छे. ३ 'तनिश्रित' अर्थमां पालिमा 'ल' प्रत्यय वपराय छः
दुछु निश्रितम् = दुटल्लं वेदनिश्रितम् = वेदलं
पालिप. पृ० २६०

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