Book Title: Prachin Karmgranth Satik
Author(s): Jain Atmanand Sabha
Publisher: Jain Atmanand Sabha

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Page 463
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobaith.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सत्त उ सासाणे बायराइ छ अपज सन्निपज्जो य । तेउल्लेसे बायरअपजत्तो दुविह सन्नी य ॥ २४ ॥ अस्सन्नि आइ बारस, अणहारे अट्ट सत्त अपजत्ता । सन्नी पजत्तो तह, इय गइयाइसु जियट्ठाणा ॥२५॥ मिच्छे सासणमीसे, अविरयदेसे पमत्तअपमत्ते । नियट्टि अनियट्टि सुहुमुवसम खीणसजोगिअजोगि गुणा ॥२६॥ चत्वारि देवनरएसु पंच तिरिएसु चउदस नरेसु । इगिविगलेसुं दो दो, पंचिंदीसुं चउद्दस वि ॥ २७॥ भूदगतरूसु दो दो, इगमगणिवाउसु चउदस तसेसु । जोए तेरस वेए, तिकसाए नव दस य लोभे ॥ २८ ॥ मइसुयओहिदुगे नव, अजयाइ जयाइ सत्त मणनाणे । केवलदुर्गमि दो तिन्नि दो व पढमा अनाणतिगे ॥२९॥ सामाइयछेएसुं, चउरो परिहार दो पमत्ताई । देसमुहुमे सगं पढमचरमचउ अजयअहखाए ॥ ३०॥ बारस अचक्खुचक्खुसु, पढमा लेसासु तिसु छ दुसु सत्त । सुकाएँ तेरस गुणा, सत्वे भवे अभवेगं ॥३१॥ वेयगखइगउवसमे, चउरो एक्कारसह तुरियाई । सेसतिगे सट्टाणं, सन्निसु चउदस असन्निसु दो ॥३२॥ आहारगेसु पढमा, तेरसऽणाहारगेसु पंच इमे । पढमंतिमदुगअविरय, गइयाइसु इय गुणहाणा ॥ ३३ ॥ सचं मोसं मीसं, असच्चमोसं मणं तह वई य । उरलविउवाहारा, मीसा कम्मइगमिय जोगा ॥ ३४ ॥ एक्कारस सुरनारयगईसु आहारउरलदुगरहिया । जोगा तिरियगईए, तेरस आहारगदुगुणा ॥ ३५॥ नरगइपणिदि तस तणु नर अपुम कसायमइसुओहिदुगे। अचक्खुछल्लेसा भवसम्मदुगसन्निसु य सबे ॥ ३६ ॥ For Private And Personal Use Only

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