Book Title: Pati Patni Ka Divya Vyvahaar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 49
________________ ८४ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार ने दूसरा गुप्त नाता रखा होगा और स्त्री को पता चल गया। इसलिए जबरदस्त झगड़े होने लगे। फिर उस औरत ने मुझे बताया कि 'ऐसा है, मैं क्या करूँ? मुझे भाग जाना है।' मैंने कहा, एक पत्नीव्रत का कानून पालता हो ऐसा मिले तो भाग जाना। वर्ना दुसरा कौन अच्छा मिलेगा? वैसे तो एक ही रखी है न? तब कहे, 'हाँ, एक ही है।' तब मैंने कहा, अच्छा। लेट गो कर (चला ले), बड़ा दिल कर दे। तुझे इससे अच्छा दूसरा नहीं मिलेगा। कलियुग में तो पति भी अच्छा नहीं मिलता और पत्नी भी अच्छी नहीं मिलती। यह सभी माल ही कूड़ा-करकट जैसा है न! माल पसंद करने योग्य है ही नहीं। इसलिए यह तुझे पसंद नहीं करना है, यह तो तुझे हल निकालना है। यह कर्मों का हिसाब चुकता करना है इसलिए निबटाओ। तब लोग आराम से मानों सचमुच पति-पत्नी होने जाते हैं ! मुए, निबटारा ला इसका। किसी भी तरह से क्लेश कम हो, उस प्रकार हल निकालना है। पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार दादाश्री : कलियुग में जो बेमेल जोड़ा हुआ हो तो वह बेमेल जोड़ा ही ऊपर जाएगा अथवा एकदम अधोगति में जाएगा। दो में से एक कार्यकारी होता है और सजोड़ा (अच्छी जोड़ी) कार्यकारी नहीं होता। बेमेल जोड़ा है, इसलिए उच्च गति में ले जाएगा और सजोड़ा तो भटकाता है। बेमेल जोड़े में वह बिगड़े तब हमें शांत रहना चाहिए, यदि हम समझदार हों तो। लेकिन वह बिगड़े और हम भी बिगड़े उसमें रहा क्या? प्रश्नकर्ता : कैसे संयोग होने पर डिवोर्स लेना चाहिए? दादाश्री : यह डिवोर्स तो अभी निकले हैं। पहले डिवोर्स थे ही कहाँ? प्रश्नकर्ता : अभी तो हो रहे हैं न? अर्थात् किन संयोगों में वह सब करना? दादाश्री : कहीं भी मेल नहीं खाता हो तब अलग हो जाना अच्छा। एडजस्टेबल (अनुकूल) हो ही नहीं तो अलग हो जाना बेहतर । वर्ना हम तो एक ही बात कहते हैं कि 'एडजस्ट एवरीव्हेर' (सब जगह अनुकूल बनो)। दूसरे दो को कहकर गुणा मत करना कि, 'ऐसा है और वैसा है।' प्रश्नकर्ता : इस अमरीका में जो डिवोर्स लेते हैं वह खराब है या आपस में बनता न हो और डिवोर्स लेते हैं वह? दादाश्री : डिवोर्स लेने का अर्थ ही क्या है! ये क्या कप-प्लेट हैं? कप-प्लेट अलग-अलग बाँट नहीं देते। उनका डिवोर्स नहीं कर सकते, तब इन मनुष्यों का तो डिवोर्स होता होगा? उन लोगों को. विदेशियों के लिए ठीक है, किन्तु तुम तो इन्डियन (भारतीय) हो। जहाँ एक पत्नीव्रत और एक पतिव्रत के नियम होते है। एक पत्नी के अलावा दूसरी स्त्री की ओर देखू भी नहीं ऐसे विचार थे। वहाँ डिवॉर्स के विचार शोभा देते हैं? डिवॉर्स माने झूठे बर्तन बदलना। भोजन के बाद झूठे बर्तन दूसरे को देना फिर, बाद में तीसरे को देना। निरे झूठे बर्तन बदलते रहना उसका नाम डिवोर्स। तुझे डिवोर्स पसंद है? प्रश्नकर्ता : दादा, उन्हें ऐसा संयोग हुआ वह भी हिसाब से ही हुआ होगा न? दादाश्री : बिना हिसाब तो ऐसा मिलता ही नहीं न! संसार है इसलिए घाव तो होंगे ही न! और बाई साहब भी कहेंगी कि अब घाव भरेगा नहीं। लेकिन संसार में मग्न हुए कि फिर घाव भर जाता है। मूर्छितअवस्था है न! मोह के कारण मर्छितअवस्था है। मोह के कारण घाव भर जाते हैं। यदि घाव नहीं भरता तब तो वैराग्य ही आ जाता न! मोह किसे कहते हैं? सभी अनुभव हुए हों पर भूल जाते हैं। डिवोर्स' (तलाक़) लेते समय तय करते हैं कि अब शादी नहीं करनी, लेकिन फिर भी वापिस कूद पड़ते हैं! प्रश्नकर्ता : मैं उनसे कह रहा था कि हमारे विवाहित जीवन में निन्यानवे प्रतिशत बेमेल जोड़े हैं।

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