Book Title: Pati Patni Ka Divya Vyvahaar
Author(s): Dada Bhagwan
Publisher: Mahavideh Foundation

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Page 48
________________ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार लेने चाहिए। सच पूछो तो सब निबाह लेना चाहिए। बच्चे होने से पहले लिया होता तो हर्ज नहीं था, लेकिन यदि बच्चे होने के तलाक़ बाद लें तो बच्चों की हाय लगती है। प्रश्नकर्ता : लड़के के बाप का जरा भी दिमाग चलता नहीं हो, कुछ कामकाज करते नहीं हो, मोटेल चलाना नहीं आता हो और चार दीवारी के बीच घर में बैठा रहता हो तब क्या करें? दादाश्री : क्या करेंगे लेकिन? दूसरा सीधा मिलेगा कि नहीं इसका क्या भरोसा? प्रश्नकर्ता : वह तो चाहिए ही नहीं। दादाश्री : दूसरा उससे भी बढ़कर (खराब) मिले तब क्या करेंगे? कईं स्त्रियों को मिला है ऐसा। पहला पति था वह अच्छा था। अरे, चक्कर! फिर जहाँ थी वही पर रहना था न! मन में यह समझना चाहिए या नहीं? प्रश्नकर्ता : दादा के हवाले कर दें फिर दूसरा सीधा मिलेगा न? दादाश्री : अच्छा मिला और तीन साल बाद उसे एटेक आया तब क्या करोगी? निरे भयवाले संसार में यह सब किस लिए? जो हुआ वही करेक्ट (सही) कहकर चला लो यही अच्छा है। पहला पति सदैव अच्छा निकलता है, लेकिन दूसरा तो आवारा ही होगा। क्योंकि वह भी ऐसा ही ढूँढता होगा। आवारा खोजता हो और वह खुद भी आवारा हो, तभी दोनों इकट्ठा होंगे न! तभी दोनों भटके हुए मिल जाते हैं। इससे तो पहलावाला अच्छा। अपना जाना-पहचाना तो है न! अरे! ऐसा तो नहीं होगा न! वह रात को गला तो नहीं दबा देगा न! ऐसा तुम्हें भरोसा रहेगा न! जबकि वह दूसरावाला तो गला भी दबा दे! बच्चों की खातिर भी खुद को समझना चाहिए। एक या दो बच्चे हों मगर वे बेचारे बेसहारा ही हो जाएँगे न! बेसहारा नहीं कहलाएँगे? प्रश्नकर्ता : बेसहारा ही कहलाएँगे न! दादाश्री : माँ कहाँ गई? पापा कहाँ गए? एक बार खुद का एक पाँव कट गया हो, तब एक जन्म गुजारा नहीं करते या आत्महत्या करते हैं? पति बुरा नहीं लगता ऐसा लगेगा तब क्या करोगी? फिर पति का दिमाग जरा आड़ा-टेढ़ा हो, लेकिन शादी की यानी हमारा पति, अर्थात् हमारा सबसे अच्छा-बेस्ट, ऐसा कहना। अत: बुरे जैसा कुछ दुनिया में होता ही नहीं। प्रश्नकर्ता : बेस्ट (उत्तम) कहें तब तो पति सिर पर चढ़ जाएँगे। दादाश्री : नहीं, सिर पर नहीं चढ़ेंगे। वे सारा दिन बेचारे बाहर काम करते रहते हैं वे क्या सिर पर चढ़ेंगे? पति तो जो आपको प्राप्त हुआ हो वही निबाह लेना होगा, दूसरा थोड़े ही लेने जाएँगे? बिकाऊ मिलते हैं? कुछ उलटा-सीधा करो और डिवोर्स (तलाक़) लेना पड़े, वह तो उलटा गलत दिखे। वह भी पूछेगा, डिवोर्सवाली (तलाक़शुदा) है, तब और कहाँ जाएँ? एक पत्नी जो मिली है उसके साथ रहकर निभा लो। अर्थात् सब जगह ऐसा होता है। और उसकी हमसे बनती नहीं हो, पर वह क्या करे? अब जाएँ कहाँ? इसलिए यहीं निकाल कर देना। हम इन्डियन (भारतीय), कितने पति बदलें? यह एक किया वही... जो मिला वह सही। इस तरह निबाह लेना। और पुरुषों को स्त्री जैसी मिली हो, क्लेश करती हो फिर भी उसके साथ निबाह लेना अच्छा। वह क्या पेट में काटनेवाली है? वह तो बाहर शोर मचाती है अथवा मुँह पर गालियाँ दे, पेट में काटे तब हम क्या करें? उसके जैसा है यह सब। यह जो बोलती है वह रेडियो ही है। पर यह आपको पता नहीं चलता कि यह वास्तव में कौन कर रहा है? आपको तो ऐसा ही लगे कि यह सब सचमुच वही कर रही है। फिर उसको भी पछतावा होता है, कि अरे, मुझे नहीं कहना चाहिए था और मुँह से निकल गया। तो फिर वह करती है कि रेडियो करता है? एक स्त्री का संसार मुंबई में फ्रेक्चर होने (टूटने) जा रहा था। पति

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