Book Title: Parshvanath Vidyapith Swarna Jayanti Granth
Author(s): Sagarmal Jain, Ashok Kumar Singh
Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi

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Page 9
________________ ( VI ) मंजिला भवन, निदेशक-आवास, शिक्षक-आवास, अतिथि-गृह, श्रमण-श्रमणियों तथा छात्रछात्राओं के लिए आवास की सुविधा है। संस्थान के प्रकाशनों में जैन-विद्या से सम्बन्धित शोधपूर्ण एवं उच्चस्तरीय १०० से अधिक ग्रंथों का प्रकाशन किया जा चुका है। इसके साथ ही संस्था से नियमित रूप से 'श्रमण' नामक त्रैमासिक पत्रिका प्रकाशित होती है। अपने विकासक्रम में अब यह संस्थान मान्य विश्वविद्यालय बनने के लिए सरकार द्वारा आदेश प्राप्ति के लिए प्रतीक्षारत है। जैन विद्या के आयाम के इस चतुर्थ खण्ड के प्रकाशन की इस बेला में हम उन सभी विद्वानों के आभारी हैं जिनके विद्वत्तापूर्ण आलेखों से इस ग्रंथ की गरिमा में वृद्धि हुई है। प्रस्तुत आलेखों के सम्पादन, प्रूफ-संशोधन और मुद्रण-सम्बन्धी व्यवस्थाओं के लिए संस्थान के निदेशक प्रो० सागरमल जैन, प्रवक्ता डॉ० अशोक कुमार सिंह और डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने जो सहयोग दिया है उसके लिए हम उनके प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। इस ग्रन्थ के हिन्दी विभाग के मुद्रण का कार्य डिवाइन प्रिण्टर्स के श्री महेश जी ने किया। इसके अंग्रेजी खण्ड का टंकण संस्थान में हुआ तथा इस टंकित सामग्री को मुद्रणयोग्य स्वरूप देने का कार्य नया संसार प्रेस ने किया। वर्द्धमान मुद्रणालय द्वारा इसका मुद्रण किया गया। एतदर्थ मैं इन सभी के प्रति आभारी हूँ। भवदीय भूपेन्द्रनाथ जैन मन्त्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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