Book Title: Pannar Tithi Author(s): Shilchandrasuri Publisher: ZZ_Anusandhan View full book textPage 2
________________ अनुसंधान- २९ कर्ताए दरेक 'चाल'ना प्रारम्भे प्रतिपाद्य विषयनुं वर्णन करती अवतरणिका आपी छे, तेमां पोताना नाम साथै जोडेलां विविध विशेषणो (षटदर्शनेश्वर, माहाब्रह्मस्वरूप श्रीसद्गुरु इत्यादि) जोतां तेओ खूब तत्त्ववेत्ता तेमज तत्त्वरसिक होय तथा गूढ तात्त्विक भावोना प्रखर ज्ञाता होय तेवी छाप ऊपसे छे, अने समग्र रचनानो ऊंडाणथी अभ्यास करनारने ते छाप यथार्थ होवानी प्रतीति पण थया विना रहेती नथी. ब्रह्मविद्याना तेमज जैन, वैदिक तथा इस्लामी तत्त्वविद्याना अधिकारी विद्वान् तेओ हशे ज. 24 कृतिनो उपरछल्लो अभ्यास करतां एम जणाय छे के आ रचना, कोई मुसलमान तत्त्वपिपासु अमीर के सूबा के सुलतानने, जैन, हिन्दू तथा इस्लाममां वर्णित अथवा मान्य बाबतोमां क्यां एक्य छे अने क्यां मतभेद छे, ते समजाववा माटे बनावाई छे. आ कृतिमां 'आलमनाथ', 'हे जवनाधिप' आवा सम्बोधनात्मक प्रयोगो जोवा मळे छे, जेथी उपर कहेली धारणा पुष्ट थाय छे. वैदिक संप्रदायो अनुसार एटले के वेद अने पुराणो प्रमाणे ईश्वरनुं अस्तित्व तेमज जगत्कर्तृत्व प्रसिद्ध छे, अने ते वात जैन आगमो माटे अमान्य - अस्वीकार्य छे; तो इस्लाम साथे आ बन्ने धाराओनुं कई हदे अने केवी रीते सन्धान थाय छे, ते विषयनुं प्रतिपादन आ रचनानुं मुख्य अंग होय तेवुं, अल्पमतिथी, समजाय छे. परन्तु आनो ऊंडो अभ्यास थाय तो ज तेना हार्द लगी पहोंचाय, ते पण स्वीकारवुं ज पडे. प्रथमनी पडवानी ढाळमां प्रथम कडीमां 'आगम देवंद्रशन्नं' एवो पाठ छे, ते 'देवेन्द्रस्तव प्रकीर्णक' नामे आगमना नामनुं सूचन करतो हशे, तेवो भास थाय छे. पछीनी बीजथी तेरस सुधीनी 'चालो' मां आचारांगथी लईने दृष्टिवाद - अंग- एम द्वादशांगीनां आगमोनां नाम क्रमशः गुंथेला जोवा मळे छे, जेथी आ रचना जैन आगमोने अनुसारी छे तेवी छाप पडे छे. जैन परिभाषाना अनेक शब्दो ठेर ठेर छूटथी वपराया छे : समकीति, युगादिनाथ, बोधि, तीरथनाथ, जिणंदा वगेरे. तीर्थंकरो पैकी प्रथम बेएक 'चाल' मां युगादिनाथनो तथा छेल्ली बेएक 'चाल' मां पारसनाथनो - एम बेनो ज नामोल्लेख छे; अन्यनो नथी. हिन्दू धाराने लगती शब्दावली पण मोटी छे : पूरण ब्रह्म, शंभु, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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