Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 01
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar

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Page 6
________________ ओं नम ऋषिभ्यः पूर्वेभ्यः पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् भूमिका अष्टाध्याया-प्रणेता आहिकमुनि पाणिनि संस्कृत भाषा के अद्वितीय व्याकरण - शास्त्र (शब्द - विद्या) के प्रणेता आहिक मुनि पाणिनि के जीवन के विषय में जो सामग्री उपलब्ध है उसके आधार पर उनका संक्षिप्त जीवन-परिचय निम्नलिखित है नाम श्री पुरुषोत्तमदेव ने त्रिकाण्डशेषकोश में पाणिनि मुनि के - पाणिन, पाणिनि, दाक्षीपुत्र, शालङ्कि, शालातुरीय और आहिक इन छः नामों का उल्लेख किया है। जिनकी व्याख्या अधोलिखित है १. पाणिन काशिकाकार पं० जयादित्य ने 'मात्रोपज्ञोपक्रमछाये नपुंसके ( ६ । २ । १४) के उदाहरणों में लिखा है- 'पाणिनोपज्ञमकालकं व्याकरणम्' अर्थात् पाणिन ने सर्वप्रथम 'काललक्षण से रहित व्याकरण शास्त्र की रचना की । अष्टाध्यायी के 'गाथिविदथिकेशिगणिपणिनश्च' (६ । ४ । १६५ ) सूत्र में पाणिन शब्द की सिद्धि की गई है'पणिनोऽपत्यम् - पाणिन:', 'पाणिन' शब्द गोत्रप्रत्ययान्त है अर्थात् पणिन का पौत्र 'पाणिन' कहाता है । २. पाणिनि यह अष्टाध्यायी के प्रणेता का लोकप्रसिद्ध नाम है । 'पणिनस्यापत्यम् - पाणिनिः' । यहां 'अत इञ्' (४।१ । ९५ ) से अपत्य अर्थ में इञ् प्रत्यय है । यह युव-प्रत्ययान्त नाम है । पणिन् का प्रपौत्र 'पाणिनि' कहलाता है । ३. दाक्षीपुत्र इस नाम का उल्लेख पंतजलि ने महाभाष्य में इस प्रकार किया हैसर्वे सर्वपदादेशा दाक्षीपुत्रस्य पाणिनेः । एकदेशविकारे हि नित्यत्वं नोपपद्यते । । ( महा० १।१।२० ) इस पद्य में पाणिनि को 'दाक्षीपुत्र' कहा गया है। इससे विदित होता है कि पाणिनि की माता दक्ष गोत्र की थी। उसका निज-नाम अज्ञात है । पाणिनि का मामा दाक्षायण व्याडि था । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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