Book Title: Paiavinnankaha Part 01
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
View full book text
________________ बुद्धिप्पहावोवरिं हालियस्स कहा-५० सिकंदरो वि पुव्वुत्तं गुरुवायं-'जे इत्थीओ नरगदुवारसमाओ' इच्चाई सुणावित्ता तुम्हाणमुवएसो कत्थ गओ त्ति ? उवहसेइ / ___ तया गुरू नायपरमट्ठो सिकंदरं कहेइ-हे वच्छ ! तुं मोहाओ खलियं मं दट्टणं तूसेसि, परंतु तुमंमि मए दिण्णं नाणं तुमए वियारियं सिया, हिययंमि य सुकृत्तणेण धरियं होज्जा, तया एवं न उवहसेज्जा / किं च वियारेसु तुं जइ एसा रमणी मारिसं वुटुं धीरं गंभीरं सया नाणज्झाणासत्तं पि एरिसअवत्थं काउं समत्था, तया जुव्वणुम्मत्तस्स तुम्ह किं किं न करेज्जा ? / रूवमत्ता एसा सुंदरी किंकरीभूए अम्हे 'मए मइसामत्थेण केरिसं कयं' ति उवहसेइ। एयाए सुंदरीए अग्गओ अम्हे दुण्णि वि मुरुक्ख त्ति कहित्ता सो गुरू नियावासे गंतूण पुव्वं पिव झाणमग्गो जाओ। तया सो सिकंदरो सा विय सुंदरी वियारिंति-'एसो किल धीरो गंभीरो तत्तण्णू महापुरिसो अत्थि, एयाणं पुरओ अम्हे अबुहा बालग च्चिय / / उवएसो गुरुणो लद्धमाहप्प-सिकंदरनियंसणं / सोचा ‘मे परदाराओ, दूरओ परिवजह' / / 2 / / . रमणीए पराभूयसिकंदरस्स एगूणपण्णासइमी कहा समत्ता / / 49 / / —गुजरनट्टपबंधाओ 50 पण्णासइमी बुद्धिप्पहावोवरिं हालियस्स कहा - - - - - - - - नीए वि सुहकम्मेहिं, धीमंतो जायए कुले / हालिएणावि बुद्धीए, रंजिओ भूमिपालगो / / 1 / / को वि नरिंदो चित्तविणोयत्थं नयराओ बाहिरं विविहवणराइं पासंतो बहुदूरं जाव गओ / तत्थ एगंमि खेत्ते किसिकम्मं कुणंतं हालियं पेक्खेइ, तं ददृण पुच्छेइ-पइदिणं कियंतदव्वं अज्जेसि ?, सो कहेइ-‘एगं रूवगं लहेमि'। तया नरिंदो कहेइ-'तेण दव्वेण कहं निव्वहेसि' / तेण वुत्तं तस्स रूवगस्स चउरो भागे करेमि, तत्तो एगं भागं अहं भक्खेमि, बीअं भागं उद्धारगे देमि, तइअं अंसं रिणमोक्खत्थं वावरेमि, चउत्थं भागं कूवंमि पक्खिवामि'। एवं सोच्चा तब्भावत्थं अजाणमाणो पुणो वि नरिंदो ‘किं एयस्स रहस्सं ति पुच्छेइ / सो हालिओ वएइ-पढमेण भागेण अहं अप्पाणं नियभज्जं च पोसेमि / बीयभागेण पुत्ताणं भरणं कुणेमि, जओ ते वि पुत्ता वुड्डत्तणंमि अम्हे पालिस्संति, तओ वुत्तं उद्धारगे देमि त्ति / तइअभागं मायपियराणमटुं वएमि, जओ हं बालत्तणे तेहिं पालिओ, तओ उत्तं रिणमोक्खत्थं वावरेमि / चउत्थं भागं परलोगसुहाय दाणे देमि, तेणुत्तं

Page Navigation
1 ... 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224