Book Title: Paiavinnankaha Part 01
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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________________ कथा पृष्ठ कथा पृष्ठ | श्लोकादि / लोगाणुकंपणा लोए 45 48 2767 104 71 4 श्लोकानामकारादिक्रमेण सूचिः | श्लोकादि 108 सट्ठाणंमि वरा नेआ सत्थाहसुओ दक्खसद्धम्मस्सवणे जोग्गा सब्भावं च असब्भावं 33 सरीरमाहु नाव त्ति 147 सरूवं पुण्णपावाणं 43 103 सव्वासिं पयडीणं 11 . 35 सालिभदापुराजम्म 144 सीलवईअ दिटुंतं 11 सुंदरीवरदत्ताणं सुट्ठ नाणं सुहा लच्छीसुलहं भयवन्नामं सुवण्णगारदिटुंतं 21 57 सोच्चा नावियनंदस्स सोच्चा विउससिट्ठाणं वज्जकुडा मणीरामो वणिणो अत्थदाणेण वयणं भीमसेणस्स वाणारसीए बडुओ वाणिअस्स सहावो जं विरुद्धदंपईणं पि विस्सविस्सेसरो देवो विहिणा जं कयं कजं वुड्डतरुणमंतीणं वुड्डाए कारिमं नेहं .. 147 76 148 130 सज्जणो जीवियतेवि सञ्चनायपयाणंमि सञ्चनायस्स दाउणो सञ्चवईकहं सोच्चा 46 125 हालियस्स कहं एयं. 50 135

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