Book Title: Paiavinnankaha Part 01
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 176
________________ साहुजणसंसग्गे नंदनाविअस्स कहा-५५ 147 आलोइयपडिक्कतो पच्छातावजुओ विहरमाणो कमेण तंमि गामे समागओ, जत्थ सो सण्णी घरकोइलो / सो मुणी भिक्खं घेत्तूण तत्थ सहाए आगओ / तया सो गिरोलिओ पुव्वभवब्भत्थदोसेण उवविट्ठस्स तस्स अणगारस्स उवरिं कयवरं खिवेइ / सो मुणी बीयकोणगे गओ, तत्थवि गंतूण एवं सो कयवरं खिवइ, एवं सो पुणो पुणो कुणेइ, तया कुद्धेण तेण सो दद्धो समाणो मयगंगातीराए हंसो जाओ / मुणी वि विहरंतो माहमासे तत्थ समागओ / नइं उत्तरित्ता इरियावहियं पडिक्कमेइ, तत्थ वि पुव्वदोसेण सो हंसो सीयजलेण उवसग्गं करेइ / 'सो अयं' ति चिंतित्ता सो अणगारो तं डहेइ / हंसो मरिऊण अंजणपव्वए सिंघो जाओ / घोरतवञ्चरणकम्मनिज्जरणो सो मुणी विहरमाणो तत्थ वणे समागओ / सो सीहो वि तं पासित्ता हंतुं धावेइ, मुणी वि तं सिंघं तेओलेसाए दहेइ / ___एवं अवरावरमरणेहिं अकामनिट्ठवियकम्मभरो वाणारसीए माहणसुओ जाओ / कमेण वड्डमाणो बालेहिं सह एगया कीलेड् / सो मुणी धम्मरुई आलोइयपडिक्कंतो परमं संवेगं आवन्नो कमेण विहरंतो वाणारसीए बाहिरुज्जाणे समागओ / भिक्खत्थं नयरे गच्छंतो तेण बडुएण दिट्ठो / तं मुणिवरं दट्टण पुव्वभवब्भासओ रोसेण धमधमंतो बालेहिं सह तं महप्पं अईव उवसग्गेइ / सिट्ठलोएण वारिज्जंतो वि मुणिं तज्जतो अणुगच्छेइ / मुणी अवि 'किं एसो नंदजीवोत्ति वियारित्ता तं डहेइ / सो बडुओ दुक्कम्मलेसनिज्जरणे सुहभावपरिणईए वाणारसीए निवो जाओ / सो धम्मरुई 'ते धण्णा सप्पुरिसा जे मोक्खमग्गं अणुपत्ता जीवाणं कम्मबंघस्स कारणं न हुंति' एवं चिंतमाणो सुद्धतवचरणो दुक्कडगरिहनिंदणेण हयपावकम्मो गामाणुगामं विहरेइ / जओ उत्तं— सव्वासिं पयडीणं, परिणामवसा उवक्कमो भणिओ। पायमणिकाइयाणं, तवसा, उ निकाइयाणं पि / / 2 / / एगया सो नरिंदो रायमगंमि कंमि वि मुणिम्मि दिढे जाईसरणं पत्तो / नाएसु नियमरणेसु राया आसणत्थो भणेइ लोगं गंगाए नाविओ नंदो 1, सभाए घरकोइलो 2 / हंसो मयंगतीराए 3 सीहो अंजणपव्वए 4 / / 3 / / वाणारसीए बडुओ 5, राया 6 एत्थेव संभूओ / एयं सद्धसिलोगं जो पूरेइ तस्स रज्जद्धं देमि / कयावि सो धम्मरुई अणगारो विहरमाणो तत्थ नयरीए समागओ, आरामे तरुमूले संठिओ / तया तत्थ अरहट्टवाहगमुहाओ तं सद्धसिलोगं सोचा मुणिणा सेसं कहियं जहा 'एएसिं घायगो जाओ, सो एत्थेव समागओ' / / सो अरहट्टवाहगो सिलोगद्ध सोच्चा नरिंदसहाए आगम्म रायपुरओ तं कहीअ / राया नियं मरणदुहं सरिउं मुच्छाए धरणीए पडिओ / सहाजणा तं अरहट्टगं हणिउं पउत्ता / सुद्धिपत्तेण नरिंदेण हम्मंतो अरहट्टगो रक्खिओ। 1. मृतगङ्गातीरे / / 2. - द्वेषेण / /

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