Book Title: Nyayakumudchandra Part 2
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti

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Page 596
________________ 882 सम्पादकप्रशस्तिः न्यायकुमुदचन्द्रसम्पादकप्रशस्तिः। भजति सागरमण्डलमुद्धरे सुकृतिभिः 'खुरई विकसत्पुरे / सुपरवार जबाहरलालतः' समजनिष्ट 'महेन्द्रकुमारकः' // 1 // कवीनाश्रितबीनाख्यनगरे 'धर्मदासतः'। नाभिनन्दनसद्विद्यालये संस्कृतशिक्षणम् // 2 // प्रारम्भिकमुपादाय विशेषाधिजिगांसया / विद्वत्सुन्दरमिन्दरविद्यालयमवाप्तवान् // 3 // 'बंशीधरात्'धर्ममधीत्य 'जीवन्धराच' तर्क श्रमतः सतर्कम् / स्थाद्वादविद्यालयमेत्य तस्मिन्नश्रान्तमश्राम्यमहं चिराय // 4 // न्यायमध्यापयन्नन्तेवासिनोऽपि निरन्तरम / अभूवमुत्तमश्रेण्यां न्यायाचार्यस्ततः परम् // 5 // गवेषणापूर्णधियेह टिप्पणीतिहाससम्यक्तुलना मया श्रमात् / विलिख्य तत्रानवधानदृषणं सुधीजनः शोधयितेत्युपेक्ष्यते // 6 // रसरसयुंगनेत्रे वीरनिर्वाणवर्षे, प्रथमदलनवम्यां भौमवारान्वितायाम् / कृतिरियमगमन्मे पूर्णतां मासि भाद्रे, गुरुचरणकृपौधेनान्तरेणान्तरायम् // 7 // . اعلامی۔

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