Book Title: Nyayakumudchandra Part 2
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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________________ ग्रन्थसङ्केतविवरणम واف काव्याम्बई ] २,५६७.सनम् [निर्णय काव्यमी०-काव्यमीमांसा [गायकवाड सीरिज बड़ौदा | छक्खंडा-छक्खंडागमः [जैनसाहित्योद्धारक फंड 738. अमरावती ] 800,801,856. काव्यप्र०-काव्यप्रकाशः [ बम्बई युनि० सीरिज़ ] | छन्दोमं०-छन्दोमञ्जरी [ जीवानन्द विद्यासागर 567,568,600. | कलकत्ता ] 278. . काव्यप्र०टी०-काव्यप्रकाशटीका [बम्बई यनि० | छान्दोग्यो०-छान्दोग्योपनिषत् [निर्णयसागर प्रेस .. सीरिज़ ] 693. बम्बई ] 147, 825, 830, 837. काव्यानुशा०-काव्यानुशासनम् [निर्णयसागर प्रेस छान्दो० शा० भा०-छान्दोग्योपनिषत्-शाङ्करभाष्यम् [गीता प्रेस गोरखपुर] 825. काव्या० रुद्र० नमि०-रुद्रटकृतकाव्यालङ्कारस्य नमि | जयध०-जयधवलाटीका, धवलाटीकायाः प्रस्तावना साधुविरचिता टीका [निर्णयसागर प्रेस बम्बई] टिप्पणयोः समुद्धृता 607, 622, 638. 764. जयमं०-सांख्यकारिकायाः जयमङ्गलाटीका [कलकत्ता] काशिका-मीमांसाश्लोकवार्तिकस्य सुचरितमिश्रवि- | 627, 628, 813, 814. रचिता कोशिका टीका [ त्रिवेन्द्रम ] 698, | जाबाल०-जाबालोपनिषत् [निर्णयसागर बम्बई ] 699, 760. . 634. कूर्मपु०-कूर्मपुराणम् 634. जैनतर्कभा० ) जैनतर्कभाषा [ सिंघी जैन सीरिज केवलिभु०-केवलिभुक्तिप्रकरणम् [ जैनसाहित्य संशो- जैनतर्कपरि० कलकत्ता] 23, 74, 116, 158, धकपत्रे मुद्रितम् ] 852-855, 858. | जैतर्कप० ) 407, 410, 411, 418, 422, को ब्रा०-कौशीतकिब्राह्मणम् 148. 435, 440, 445, 459, 490,492. 500, क्षणभङ्गाध्यायः-ज्ञानश्रीकृतः भिक्षुराहुलसांकृत्यायन- | 610, 621, 622, 632, 636, 638,650, - सत्क: 552. 686, 687, 793, 799, 800, 854. क्षण सि०-क्षणभङ्गसिद्धिः [एशियाटिक सो० | जैनतर्कवा०-जैनतर्कवातिकम् | लाजरस कं० काशी] कलकत्ता] 9,445, 476. . 20, 23-25, 74, 126, 464, 489, खंडनखंड०-खण्डनखण्डखाद्यम् [लाजरस कं० काशी] | 513, 543. 237, 412. जैनतर्कवा००-जैनतर्कवात्तिकवत्तिः [ लाजरस के० गच्छा० ३०-गच्छाचारप्रकीर्णक __ काशी] 369, 407, 408, 440, 472. समिति सूरत ] 876. जैनेन्द्रव्या०-जैनेन्द्रव्याकरणम् [जैनसिद्धान्तप्रकाशिनी गुरुतत्ववि०-गरुतत्त्वविनिश्चयः [ आत्मानन्द सभा संस्था कलकत्ता 449,604,617,641,766. भावनगर] 605, 686-688, 691. जैनेन्द्रप्र०-जैनेन्द्रप्रक्रिया पं० बंशीधरकृता सोलापुर गुह्यसत्र-गुह्यसूत्रम्,बोधिचर्यावतारपञ्जिकायामुद्धतम् 641. 840 मिनि-जैमिनिसूत्रम् 523, 545, 551, 566, गो० कर्मका०-गोम्मटसारकर्मकाण्डम् [ रायचन्द्र 701, 722, 735, 777. शास्त्रमाला बम्बई ] 859,862,871. जैमिनिन्यायमाला-[ चौखम्बासीरिज़ काशी] 576, गो० जीव०-गोम्मटसारजीवकाण्डम् [रायचन्द्रशास्त्र- 578. 579, 582, 757. माला बम्बई] 801, 856, 859, 874, ज्ञानवि०-ज्ञानबिन्दुः यशोविजयग्रन्थमालान्तर्गत: 877. | [जैनधर्मप्रसारकसभा भावनगर] 838. गौडपावभा०-सांख्यकारिकागौडपादभाष्यम [चौखम्बा | ज्ञानसि०-ज्ञानसिद्धिः वालिद्वीपग्रन्थान्तर्गता [ गायक' सीरिज काशी 189,190,813,814. बाड सीरिज़ बड़ौदा ] 547.. चतु० श०-चतुःशतकम् [विश्वभारती ग्रन्थमाला | ठाणांगवि०-ठाणांगवित्ती आगमोदय समिति सूरत] शान्तिनिकेतन] 16,81,82,86,819,839. | 863. . चतुशतकवृ०-चतुःशतकवृत्तिः [ विश्वभारती ग्रन्थ- | तत्त्वचि०-तत्त्वचिन्तामणिः [ एशियाटिक सोसाइटी माला शान्तिनिकेतन ] 79. कलकत्ता] 716. चन्द्रप्रभच०-चन्द्रप्रभचरितम् [निर्णयसागर प्रेस | तत्त्वचि० अनु०-तत्त्वचिन्तामणि-अनुमानग्रन्थः / बम्बई ] 186. | [एशियाटिक सोसाइटी कलकत्ता] 428, 539. चरकसं०-चरकसंहिता [ निर्णयसागर प्रेस बम्बई]| तत्वचि० अव०-तत्त्वचिन्तामणि-अवयवग्रन्थः [एशि 25, 309, 310, 312-314, 316, 318- याटिक सोसाइटी कलकत्ता] 2. ___ 321 325-327, 330-333, 337, 503. | तत्त्वचि० व्या०-तत्त्वचिन्तामणिव्याप्तिग्रन्थः 419. चित्सुखी-तत्वप्रदीपिका चित्सुखी [ निर्णयसागर प्रेस | तत्त्वचि० शब्द०-तत्त्वचिन्तामणि-शब्दग्रन्थः 713. बम्बई ] 63, 237, 285, 292, 415, 720, 26, 736, 758, 761. 420, 429, 466, 537, 570, 668, 669, | तत्त्वषि-तत्त्वबिन्दुः [अन्नमलय यूनि० सीरिज़ ] 824,825, 827, 831, 832.

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