Book Title: Nyayakumudchandra Part 2
Author(s): Mahendramuni
Publisher: Manikchand Digambar Jain Granthamala Samiti
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________________ लघीयस्त्रयकारिकाणां तुलना लघी० पृ० 35 6 वादिराज 11 रनप्रभ न्यायविनिश्चयविवरण लघी० रत्नाकरावतारिका का०३ . पृ०४८ A. का०१९/२० 33 का०५ पृ० 32 A. का, 5 विषयविषयि.. पृ० 32 A. का०१४ पृ०५२७ A. 12 हेमचन्द्र का० 52 पृ० 32 A लघी० प्रमाणमीमांसा का० 59 पृ० 33 A. का० 4 तदस्ति सुनिश्चिता... प्रमाणनिर्णय प०१४ का० 4 यावज्ज्ञेयव्यापि... का० 4 तदस्ति सुनिश्चिता'' पृ. 29 पृ० 14 का० 4 अत्रानुपलम्भं. पृ०१४ का०५ विषयस्तावत् पु० 21 ७भाशाधर का० 5 कथञ्चिदभेदेऽपि... पृ० 22 का०६ धारणा 02 / 19 लघी० अनगारधर्मामृतटीका | का०७ 121139 का०७३-७६ . पृ० 169 का०८ पृ० 14 इष्टोपदेशटीका का० 19-20 का०५७ पृ० 30 8 शीलाझाचार्य 13 मलयगिरि लघी० . आव०नि० मलयगिरिटीका लपी० सूत्रकृताङ्गटीका का० 30 पृ० 370 B. : : का०४ पृ० 227 A. का० 57 पृ०१७ का०७२ पृ० 326 A. का०६३ 10 369 B. का०६३ क्वचित्स्यात्कार.. पृ० 369 B. अभयदेव पृ० 381 B. लबी० सन्मतितकंटीका नन्दिसूत्रटीका का०५ विषयस्तावत् पृ० 553 - पृ० 66 B. का०५ कथञ्चिदभेदेऽपि. पृ० 553 का०.१० अविसंवादस्मृतेः पृ० 553 का०२२ पृ०५९५ 14 देवेन्द्रसूरि का०२२ तिमिराद्युपप्लव' पु० 595 प्रथमकर्मग्रन्थटीका का०३२ पु० 272 का० 57 पृ०८ का०५६ पृ० 544 लघी० 10 वादि देवरि 15 यशोविजय लघी० प्र माणनयतत्वालोकालडार लघी० जैनतर्कभाषा का० 3 सन्निकर्षादरज्ञानस्य" 114 का०७६ अप्रस्तुतार्थापाकरणात् पृ० 25 का०४ अनुमानाद्यतिरेकेण.. 13 शास्त्रवार्ताटीका का०५कथञ्चिदभेदेऽपि.. 2 / 12 / का०४ पृ० 310B स्याद्वावरत्नाकर गुरुतत्त्वविनिश्चय का०४ पृ० 316 का 30 पृ० 16 B. का०१९ पृ० 498 का० 63 पृ० 16 A.

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